कौन कहता है पिता परवरिश नहीं कर सकते?
वे कर सकते हैं और बहुत अच्छे से कर सकते हैं।

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बच्चों के जीवित रहने, फलने-फूलने और अपनी क्षमता के अनुरूप विकास करने के लिए जरूरी है कि शुरूआती वर्षों में उन्हें न केवल माताओं बल्किमाता-पिता, दोनों का प्यार और देखरेख मिले। आज अधिकाधिक पिताओं के बच्चों की परवरिश में शामिल होने से, बचपन अपेक्षाकृत अधिक संपूर्ण हो गया है और बच्चों का सुखद भविष्य सुनिश्चित हो रहा है। आइए, ऐसे अनेक हीरो पिताओं में से एक पिता से मिलें जो अपने बच्चों के जीवन को बेहतरीन शुरुआत देने में मदद कर रहे हैं।

तीस-वर्षीय दौलत सिंह दो बच्चों के पिता हैं जिनमें से एक पांच वर्षीय किशन सिंह और दूसरा तीन वर्षीय कनकु सिंह है। हालांकि वह खुद कभी स्कूल नहीं गए, पर अपनी पत्नी चंपा बाई के साथ मिलकर अपने बच्चों की परवरिश का दायित्व सक्रिय रूप से निभा रहे हैं।

दौलत सिंह आंगनवाड़ी कार्यकर्ता मंजु अग्रवाल की हर बात सुनते हैं। उनसे दौलत और चंपा ने शिक्षा, पोषण, परिवार नियोजन और बच्चों की बढ़ोतरी और विकास पर शिक्षा पाई है। दौलत सिंह को अपने बच्चों के साथ खेलने, उनसे बातचीत करने और उनके साथ समय बिताने का महत्व का पता चला है।

अब वह अपने बच्चों के साथ खेलते हैं और उन्हें सीखने और बातचीत से अपने विचार साझा करने के लिए प्रेरित करते हैं। उन्हें पता चला है कि बचपन के शुरुआती वर्षों में बुद्धिमता, व्यक्तित्व, सामाजिक व्यवहार और वयस्क की क्षमता में सीखने और संवरने के बुनियादी वर्ष होते हैं।

ये क्षण दौलत और उनके बच्चों, दोनों के लिए प्रिय हैं, जो अपने परिवार में अपने पिता को सक्रिय परवरिश में शामिल होते देख बड़े हो रहे हैं।

तीन-वर्षीय कनकु सिंह एक प्रसन्नचित बच्चा है, जो प्रतिदिन सीखने के लिए छोटे-छोटे कदम उठा रहा है। जब किसी बच्चे को दोनों अभिभावकों का प्यार, देख-रेख, वार्तालाप और ध्यान मिलता है, तो बच्चे के विकास में अद्भुत वृध्दि होती है।