यूनिसेफ ने गुजरात में जीवन रक्षक ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना का समर्थन किया
ऑक्सीजन थेरेपी यूनिसेफ की कोविड-19 की लहर को रोकने के लिए की जाने वाली प्रतिक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे कोविड-19 का सबसे प्रभावी उपचार माना जाता है

ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं जहां समय पर ऑक्सीजन की आपूर्ति न होने की वजह से कोविड-19 के मरीजों की मौतें हुई हैं। कोविड-19 की दूसरी लहर के शहरी से ग्रामीण क्षेत्रों में फैलने की वजह से भारत की स्वास्थ्य प्रणाली की क्षमता पर कई तरह से असर पड़ा था। इस दौरान, गुजरात में ऑक्सीजन बेड, इंटेंसिव केयर यूनिट (आईसीयू) बेड और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कमी देखी गई। मामलों में लगातार को रही वृद्धि और कोविड-19 के नए स्ट्रेन की वजह से ऑक्सीजन की समय पर उपलब्धता बेहद महत्वपूर्ण थी।
कोविड-19 से जुड़ी मृत्यु दर को नियंत्रित करने हेतु ऑक्सीजन की निर्बाध आपूर्ति आवश्यक है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए यूनिसेफ ने गुजरात के दक्षिण पश्चिम में स्थित जामनगर जिले सहित पूरे भारत के सरकारी अस्पतालों का समर्थन करने हेतु ऑक्सीजन उत्पादक संयंत्र (ओजीपी) की खरीद शुरू की।

ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट कैसे काम करते हैं और क्या इनका इस्तेमाल सिर्फ कोविड-19 के लिए ही होगा?
ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट (ओजीपी) अस्पताल की ऑपरेटिंग थिएटर, आईसीयू और नवजात बच्चों से संबंधित इकाइयों सहित कई तरह की जरूरतों को पूरा करते हैं। अस्पतालों में ऑक्सीजन की जरुरत लगातार बढ़ती रहती है और इससे किसी भी अस्पताल को चलाने का खर्च काफी बढ़ जाता है।
ओजीपी साइट पर ही ऑक्सीजन का उत्पादन करता है, जिससे ऑक्सीजन सिलिंडर की आवश्यकता को कम होती और खर्च में कमी आती है। जामनगर के अस्पतालों में यूनिसेफ समर्थित ओजीपी की स्थापना ने वो न केवल कोविड-19 देखभाल के लिए बढ़ती आपातकालीन आवश्यकता को पूरा कर सकेंगे, बल्कि आने वाले समय में अस्पताल इससे अपनी अन्य सुविधाओं को बढ़ाने हेतु अपने संसाधनों को आवंटित करने में सक्षम हो सकेंगे, जिससे स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली को मजबूती मिलेगी।
2020 में गुजरात ने कोविड-19 के लिए अस्पताल बनाने पर काफी जोर दिया। हालांकि, अहमदाबाद, सूरत और वडोदरा जैसे बड़े शहरों में स्वास्थ्य व्यवस्था काफी अच्छी है, लेकिन जामनगर जैसे छोटे शहरों में ऑक्सीजन की आवश्यकता में भारी वृद्धि हुई है। जैसे ही महामारी सीमित स्वास्थ्य अवंसरचना वाले ग्रामीण क्षेत्रों में फैली, लोग इलाज के लिए जामनगर जैसे शहरों की ओर आने लगे। जामनगर स्थित एमपी शाह मेडिकल कॉलेज सहित गुरु गोविंद सिंह सरकारी अस्पताल, गुजरात के पश्चिमी क्षेत्र के पांच जिलों के लोगों के लिए कोविड-19 देखभाल का केंद्र बन गया।
कोविड-19 के गंभीर लक्षण वाले रोगियों के लिए ऑक्सीजन जीवन रक्षक की तरह है और महामारी के दौरान इसकी आपूर्ति में कमी देखने को मिली थी। यूनिसेफ कोविड-19 प्रतिक्रिया और कोविड-19 टीकाकरण पर सरकार के साथ मिलकर काम कर रहा है। हमें राज्य सरकार ने हमसे ऑक्सीजन उत्पादक संयंत्र लगाने का अनुरोध किया था। हमने जामनगर के गुरु गोविंद सिंह सरकारी अस्पताल में बहुत अधिक जरुरी ऑक्सीजन उत्पादक संयंत्र को भागीदार से प्राप्त सीएसआर फंड के तहत स्थापित किया है, ताकि कोविड-19 महामारी का बिना किसी देरी के जवाब दिया जा सके।

स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत कर रहा है ऑक्सीजन उत्पादक संयंत्र
ओजीपी की स्थापना से पहले बहुत अधिक काम करना था। यूनिसेफ द्वारा समर्थित एक इंजीनियर ने साइट का दौरा किया और ओजीपी को स्थापित करने की जगह डिजाइन करने हेतु तकनीकी जानकारी दी और किए जाने वाले सिविल कार्यों का मार्गदर्शन किया। साइट तत्परता चेकलिस्ट तैयार की गई और बैठक की गई। यूनिसेफ द्वारा ऑन-साइट तत्परता का मूल्यांकन करने और वर्चुअल दौरे के बाद, अस्पताल के अधिकारियों द्वारा प्रमाणीकरण प्रदान किया गया।
ओजीपी स्थापना प्रक्रिया के दौरान गुरु गोविंद सिंह सरकारी अस्पताल के अध्यक्ष और चिकित्सा अधीक्षक, जिला प्रशासन के अधिकारी, इंजीनियर और यूनिसेफ के सदस्य सभी मौजूद थे।
एमपी शाह मेडिकल कॉलेज की अध्यक्ष, डॉ. नंदिनी देसाई ने कहा, “हम कोविड-19 रोगियों के लिए जीवन रक्षक ऑक्सीजन को उपलब्ध कराने के प्रयासों के लिए यूनिसेफ, जिला प्रशासन जामनगर और दाताओं को धन्यवाद देते हैं, जिससे हमारे मेडिकल कॉलेज अस्पताल को बहुत जरुरी ओजीपी की समय पर आपूर्ति हो सकेगी। इससे हमें ऑक्सीजन थेरेपी के अंतराल को भरने में मदद मिलेगी।”
भेजने से पहले निरीक्षण करने के पश्चात् 30 मई 2021 को ओजीपी घटकों को भेजा गया और यह जामनगर पहुंचे। उसी दिन संयंत्र की स्थापना शुरू कर दी गई थी। ड्राई रन के बाद, अस्पताल के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में ऑक्सीजन की आपूर्ति करने हेतु 1 जून 2021 से ओजीपी का संचालन शुरु हो गया। 280 लीटर प्रति मिनट की ऑक्सीजन उत्पादन क्षमता वाले इस ओजीपी से कोविड-19 वार्ड और आईसीयू को ऑक्सीजन की आपूर्ति की जायेगी। क्योंकि, कोविड-19 के मरीजों की संख्या में गिरावट आई है, इसलिए इससे नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट (नवजात गहन चिकित्सा इकाई), पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट (बाल चिकित्सा गहन देखभाल इकाई), इमरजेंसी वार्ड, ऑपरेशन थिएटर और अन्य सभी जरुरी इकाईयों में ऑक्सीजन की आपूर्ति करने में भी मदद करेगा।
दो साल की वारंटी अवधि के पश्चात् संयंत्र का प्रबंधन मौजूदा अस्पताल के कर्मचारियों द्वारा किया जाएगा और आवर्ती लागत का वहन सरकार द्वारा किया जाएगा। यह स्वास्थ्य प्रणाली को लंबे समय तक मजबूती प्रदान करेगा।


जीवन रक्षक ऑक्सीजन की जरुरत पहले से कहीं अधिक थी। रेफरल टीचिंग हॉस्पिटल होने के नाते हमारी टीम ने कई लोगों का इलाज किया। ऑक्सीजन थेरेपी में हमारी मदद करने के लिए यूनिसेफ को विशेष धन्यवाद। यह एक प्रशंसनीय मदद है!
ओजीपी से लोगों की जान बचाने में मदद मिलती हैं। दाताओं को उनके समर्थन के लिए धन्यवाद।
यूनिसेफ स्वैच्छिक दान पर निर्भर करता है और हम अपने दाताओं तथा भागीदारों के योगदान के लिए उनका धन्यवाद देते हैं, जिसकी वजह से हम कोविड-19 के खिलाफ प्रतिक्रिया कर पाएं और ऐसी जगहों पर ओजीपी व अन्य सेवाओं सहित जीवन रक्षक आपूर्ति प्रदान कर सकें, जहाँ सबसे अधिक जरुरत थी।