"मेरा एक सपना है, और किसी को मुझे उस सपने को पूरा करने से रोकना नहीं चाहिए "

रांची,भारत, 13 वर्षीय कुसमा अपने पड़ोसी के घर के सामने से तेज़ीअपने सेकदम बढ़ाते हुए गुज़रती है।

इद्रीस अहमद
Kusma Kumari poses outside her classroom in the Pirra government school in Kanke block of Ranchi in the central Indian state of Jharkhand.
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25 सितंबर 2019

रांची,भारत,13 वर्षीय कुसमा अपने पड़ोसी के घर के सामने से अपने कदम तेज़ी से बढ़ाते हुए गुज़रती है।

कुसमा को देखकर लग रहा था कि वो थोड़ा असहाय महसूस कर रही थी। उसके पड़ोसी, एक 70 वर्षीय बुज़ुर्ग हैं ,जिनका गांव के लोग बहुत सम्मानित हैं और जिनकी बात सब मानते हैं। उनकेसामने कुसमा अपना सर नीचे कर लेती है, लेकिन वो अपने पड़ोसी के हाथों की चार लम्बी और टेढ़ी-मेढ़ी उंगलियाँ जो आकाश की ओर इशारा कर रही थी को अनदेखा नहीं कर सकी । कुसमा बताती है कि"पिछले साल, ये मुझे अपनी उँगलियों के साथ-साथ अपना अंगूठा भी दिखाते थे," "हर एक ऊँगली का मतलब है एक वर्ष। इनका मानना है कि मेरे पास पढ़ाई करने के लिए अब केवल चार वर्ष ही बचेहैं , जिसके बाद मुझे विवाह करना होगा।

कुसमा बिना रुके तेज़ी से चलती जाती है, तब तक जब तक वह पिर्रा के सरकारी स्कूल तक नहीं पहुँच जाती है।

वो कहती है कि "वह गांव के बुज़ुर्ग हैं, इसीलिए मैं उनकी बातों का जवाब नहीं देती," "लेकिन  उनकी बातें कभी सच नहीं होंगी - मैं विवाह नहीं करुँगी। मैं पढ़-लिख कर डॉक्टर बनूँगी।"

कुसमा ने खुद को मजूबत बना रखा है। लोग जब भी उससे उसके सपने के बारे में पूछते हैं वह काफी समझदारी और तर्क से जवाब देती है और कभी कभी तो वह काफी तीखा जवाब भी देती है ।

कुसमा कहती है कि"मेरा एक सपना है, और किसी को मुझे उस सपने को पूरा करने से रोकना नहीं चाहिए," "मैं डॉक्टर क्यों नहीं बन सकती?"

लेकिन बात करते-करते, कुसमा का डॉक्टर बनने का संकल्प थोड़ा डगमगाता दिखता  है।

कुसमा बताती है कि "मुझे नहीं पता," । "शायद मेरे डॉक्टर बनने से पहले ही मेरी शादी करवा दी जाए ।"

कुसमा कुमारी(15), प्रियांशी कुमारी(13), बरखा कुमारी(14), पिर्रा में बनी सरकारी पाठशाला की ओर जा रही हैं। पिर्रा, झारखण्ड के रांची में पड़ने वाले कांके ब्लॉक के अंतर्गत एक गांव है।
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कुसमा कुमारी(15), प्रियांशी कुमारी(13), बरखा कुमारी(14), पिर्रा में बनी सरकारी पाठशाला की ओर जा रही हैं। पिर्रा, झारखण्ड के रांची में पड़ने वाले कांके ब्लॉक के अंतर्गत एक गांव है।

कुसमा के विचार दिनभर डॉक्टर बनने के सपने को साकार करने और सपना सच होने के पहले शादी  हो जाने को लेकर बेचैन रहा। कुसमा  की  कल्पना उसे परेशान कर रही थीजहाँ एक तरफ वह अपने आप को आत्मविश्वासी डॉक्टर,जो अस्पताल में मरीजों का ईलाज करती हुई के रूप में देखती है और वहीं दूसरी ओर खुद को जिम्मेदारियों के तले दबी, कम उम्र की माँ के रूप में देखती है जो अपने बच्चों एवं ससुराल वालों के लिए खाना बना रही है।

कुसमा को उसकी शादी हो जाने का डर और उसके डॉक्टर बनने का आत्मविश्वास, दोनों को गलत नहीं ठहराया जा सकता झारखण्ड, जहाँ कुसमा का घर है, यहाँ अत्याधिक बाल विवाह का प्रचलन है यह राज्य देश में बाल विवाह के मामले में तीसरे स्थान पर है। हालाँकि, इस राज्य ने बाल विवाह की कुरीति को नष्ट करने की दिशा में प्रगति की है, लेकिन इसके बावजूद भी झारखण्ड में 38 प्रतिशत लड़कियों का विवाह 18 वर्ष से पहले ही करवा दिया जाता है।

अपने सपनों को साकार करने के लिए कुसमा कड़ी मेहनत करती है

कुसमा , दिन सुबह, 3:30 बजे उठ जाती है। जब उसके माता-पिता, बहन-भाई और पड़ोसी सो रहे होते हैं, कुसमा बहुत लगन से पढ़ाई करती है।पढ़ाई करने के बाद वह लिखती और चित्रकारी भी करती है, जिसका विषय अधिकतर बच्चों के सपने पूरे करने के अधिकार को लेकर रहता है। कुसमा इसी उत्साह से स्कूल जा कर अपने सहपाठियों को अपने अधिकार पहचानने के लिए प्रेरित करती है।

रांची,झारखण्ड के कांके ब्लॉक स्थित अपने घर में पढ़ती हुई कुसमा कुमारी।
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रांची,झारखण्ड के कांके ब्लॉक स्थित अपने घर में पढ़ती हुई कुसमा कुमारी।

कुसमा को युनिसेफ के बाल रिपोर्टर कार्यक्रम के माध्यम से प्रशिक्षित किया गया था, जिसका उद्देश्य कुसमा जैसे बच्चों को बाल अधिकारों के बारे में जागरूक करना है। बदलती विचारधारा के चलते ये बच्चे यही ज्ञान अपने समुदायों में बाँटने की योग्यता रखते हैं। कुसमा अपनी कक्षा में और कक्षा के बाहर भी अपने कुशल नेतृत्व का प्रदर्शन करती है, वह स्कूल में सुबह की सभा का संचालन भी करती है। प्रत्येक सत्र के अंत में कुसमा "दिन के विषय" पर सामाजिक व्यवहार को बढ़ावा देने वाली सकरात्मक बातें साझा करती है–जिनमें  से एक बाल विवाह है।

बच्चों, किशोरों एवं वयस्कों को सम्बोधित करते हुए कुसमा कहती है कि "बाल विवाह ग़ैरक़ानूनी हैकिसी बाल विवाह में खाना पकाने आए रसोइए पर भी मुकदमा चलेगा,"।

कुसमा ने सार्वजनिक मंचों पर बोलने और सरकारी प्रतिनिधियों और उच्च-स्तरीय सामुदायिक नेताओं सहित सार्वजनिक प्रतिनिधियों के साथ बातचीत करने का विश्वास हासिल किया है।

शाम को बाल रिपोर्टरों के समूह का नेतृत्व करते हुए कुसमा अपने गांव में घूमती है और सुबह की सभा के विषय पर अपने समुदाय के लोगों से बात करती है। कुसमा बैठक में मौजूद पिताओं से सीधे बातचीत करती है। कुसमा की विभिन्न विचारधाराओं को एक साथ बुनने की कला और उसके शब्दों का हुनर, उन्हें उसकी बातें सुनने पर मज़बूर कर देते हैं। उसके शब्द और विचार एक साथ बहते हैं।

लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि उसके स्वर में एक वास्तविकता के साथ - साथ गुस्सा भी महसूसकी जा सकती है।

"उसका बाल विवाह मत करो। अगर आपकी बेटी डॉक्टर बन गई तो पूरे समुदाय में आपकी पहचान बढ़ेगी और सम्मान मिलेगा।"

कमरे के एक कोने में कुसमा के पिता, पारसनाथ महतो, धार्यपूर्वक  अपनी बेटी को समुदाय के लोगों से बात करते सुन रहे हैं। कुसमा के पिता एक स्थानीय मेकैनिक हैं जो साइकिलों की मरम्मत करते हैं।उन्होंने कुछ ही समय पहले मोटरसाइकिल की भी मरम्मत करनी शुरू की है। उनकी दैनिक आय केवल 70 रूपए था जो  आज 200 रुपए तक बढ़  गया  है।

अपनी बेटी को गांव में पिताओं /पुरुषों से आत्मविश्वास से बात करते हुए देख महतो गर्व महसूस  करते  हैं ।

कुसमा और अपने बाकि बच्चों से घिरे महतो कहते हैं कि "कुसमा में आत्मविश्वास आया है," "मैं यह सुनिश्चित करूँगा किकुसमा का बाल विवाह नहीं  हो  ," ।

रांची झारखण्ड,कांके ब्लॉक में कुसमा कुमारी अपने समुदाय के सदस्यों से बातचीत करते हुए।
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रांची झारखण्ड,कांके ब्लॉक में कुसमा कुमारी अपने समुदाय के सदस्यों से बातचीत करते हुए।

महतो कहते हैंकि "कुसमा जब तक चाहे तब तक पढ़ाई कर सकती है। उसका विवाह हम 20 वर्ष से पहले नहीं कराएंगे," । बातचीत के दौरान महतो बार-बार "20" दोहराते हैं। कुसमा की माँ भी सहमति में अपना सर हिलाती हैं। कुसमा की माँ उसी सरकारी स्कूल में खाना बनाती हैं जहाँ कुसमा पढ़ाई करती है।

कुसमा के नव निर्मित घर में चहल-पहल और हंसी-मज़ाक का माहोल है।कुसमा अपने पिता को बार-बार टोकते हुए कहती है कि "मैं 20 वर्ष के अन्दर डॉक्टर नहीं बन सकती। मुझे और अधिक समय चाहिए।"

महतो फिर दोहराते हैं कि कुसमा का विवाह 18 वर्ष से पहले नहीं होगा परन्तु विवाह की उम्र को 20 वर्ष के आगे बढ़ाने के लिए वे अभी भी दृढ़ नज़र नहीं आते।

"बाबा हमसे बहुत प्यार करते हैं, लेकिन उन्होंने मेरी बहन का विवाह 20 वर्ष में ही करवा दिया था । वह पढ़ने में बहुत अच्छी थी।" कुसमा अपनी बहन के साथ  बैठी हुई बताती है कि । "उस समय मेरे बाबा बीमार थे, मेरी बहन  की शादी  जल्दी करवाने का उन्होंने यही तर्क दिया। मेरे साथ भी वो ऐसा ही करेंगे।"

कुसमा की बहन कांता कुमारी कहती हैं की "माँ-बाप लड़कियों को बोझ समझते हैं, और इसी कारण वह जल्द से जल्द उनका विवाह करवा देते हैं,"

रांची,झारखण्ड,कांकेब्लॉक में कुसमा कुमारी अपने पिता पारसनाथ महतो की दुकान में उनके गले लगते हुए।
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रांची,झारखण्ड,कांकेब्लॉक में कुसमा कुमारी अपने पिता पारसनाथ महतो की दुकान में उनके गले लगते हुए।

कुसमा कहती है कि "लड़कियों को स्कूलों में कौशल प्रदान करने की आवश्यकता है ताकि हम निडर हो कर अपना भविष्य बना सकें," ।

अपनी उम्र से अधिकबुद्धिमान, कुसमा अपने  पाठशाला में कौशल प्रशिक्षण प्रदान करने की बात करती है।

"कौशल बढ़ने से ही आत्मविश्वास आता है जिससे हमें अपने विवाह को टालने में भी सहायता मिलती है,क्योंकि हम आर्थिक रूप से स्वतंत्र होकर अपने माता-पिता की देखभाल कर सकते हैं।"

मैं डॉक्टर बनना चाहती हूँ। मैं क्यूँ नहीं बन सकती ? !