माता-पिता एवं देखभालकर्ताओं के लिए पूरक आहार संबंधी प्रथाओं पर एक फ़ोटो निबंध
पोषण माह स्पेशल

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पोषण अभियान कार्यक्रम की शुरुआत बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को मिलने वाले पोषण में सुधार करने के लक्ष्य से भारत के प्रधान मंत्री द्वारा मार्च 2018 में की गई थी। भारत में हर वर्ष सितंबर महीने में 'पोषण माह' मनाया जाता है। इस महीने के दौरान, मातृ स्वास्थ्य, पोषण को बढ़ावा देने और अति गंभीर कुपोषण व कई अन्य बीमारियों के उन्मूलन की दिशा में कई संचार एवं
संवेदीकरण करने के प्रयास किए जाते हैं।
2021 में, हमें कोविड-19 के प्रकोप से लड़ने के साथ-साथ, अपने बच्चों और महिलाओं का पोषण सुनिश्चित करने की दिशा में काम करना जारी रखना है। अग्रिम पंक्ति के सामुदायिक कार्यकर्ता अर्थात आंगनवाड़ी - सेविकाओं ने विशेष रूप से बाल विकास को बढ़ावा देने में - अहम् भूमिका निभाई है।

पोषण बच्चों के विकास और स्वास्थ्य के लिए बेहद जरुरी है। बेहतर पोषण से शिशु, बच्चे और माता का स्वास्थ्य बेहतर होता है। इससे रोग प्रथ्रिरोधक क्षमता मजबूत होती है और उनकी पढ़ाई में भी सुधार होता है। इससे माताओं को गर्भावस्था और प्रसव के दौरान सुरक्षा मिलती है। यह गैर-संचारी रोगों के जोखिम को कम करने में अहम योगदान देता है और दीर्घायु प्रदान करता है।
स्वस्थ बच्चे बेहतर जीवन जीते हैं और सीखते हैं। अच्छे पोषण वाले व्यक्ति ज़्यादा उत्पादक होते हैं और अपनी पूरी क्षमता से कार्य करते हैं। वे अपने तथा अपने समुदायो के लिए नए अवसरों को उत्पन्न करते हैं, जिससे गरीबी और भूखमरी का चक्र टूट जाता है।
भारत में, कुपोषण से बच्चों के स्वास्थ्य को गंभीर खतरा है। भारत में, 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में होने वाली मृत्यु दर में से लगभग 70% कुपोषण के कारण होती हैं।[1]
[1] स्वामीनाथन, एस., हेमलता, आर., पांडे, ए., कस्सबाउम, एन.जे., लक्ष्मैया, ए., लोंगवा, टी.,....और डंडोना, एल. (2019) भारत के राज्यों में बच्चे एवं मातृ कुपोषण का बोझ और इसके संकेतकों में रुझान: रोग अध्ययन का वैश्विक बोझ 1990-2017. लैंसेट चाइल्ड एंड एडोलसेंट हेल्थ, 3(12), 855-870
शिशु एवं छोटे बच्चों के आहार में सुधार करके बच्चे के जीवित रहने की दर में सुधार किया जा सकता है। शुरुआती दो साल बच्चे के लिए सबसे महत्वपूर्ण होते हैं। बच्चे का विकास अच्छी तरह से हो रहा है या नहीं, यह जानने के लिए आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की मदद से माता-पिता को नियमित जांच करानी चाहिए कि ताकि किसी भी समस्या का जल्द पता चल सके।

अगर गर्भावस्था के शुरुआती महीनों में पर्याप्त पोषण दिया जाए, तो इससे रुग्णता और मृत्यु दर में कमी आती है, बीमारी का जोखिम कम होता है, और बच्चे का विकास सही से होता है। इस संबंध में, स्तनपान जल्द शुरु करने (जन्म के 1 घंटे के भीतर) से बच्चा संक्रमण के खतरे से सुरक्षित होता है और मृत्यु दर में कमी आती है। मां का दूध भी ऊर्जा और पोषक तत्वों का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।

शिशु को छह महीने पूरे होने तक केवल स्तनपान कराने से क्या होता है? क्या यह पर्याप्त है?
जवाब है "नहीं"
छह महीने की आयु तक, बच्चा अन्य खाद्य पदार्थों को खाने और पचाने के लिए विकसित हो चुका होता है। दिनों-दिन बड़े हो रहे बच्चे की ऊर्जा और पोषक तत्वों की जरूरतें बढ़ती हैं और ये केवल मां के दूध से पूरी नहीं की जा सकती। इसके अलावा, जैसे-जैसे बच्चा बढ़ता है और आसपास की दुनिया को समझने लगता है, उसकी पोषण संबंधी जरूरतें भी बढ़ती हैं। अगर बच्चा पोषण से वंचित रहता है या उसे उचित भोजन नहीं दिया जाता है, तो इससे बच्चे के विकास पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
इसलिए, छह महीने पूरे होने के बाद, बच्चे को पूरक आहार देना महत्वपूर्ण है ताकि बच्चे का ठीक से विकास हो सके।

पूरक आहार की मूल बातें जानने के लिए यहां कुछ जरुरी बातें बताई गई हैं। इनकी मदद से, माताएं और देखभालकार्ता पोषण को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं और अपने बच्चे को स्वस्थ्य रख सकते हैं -
कब शुरू करें और यह क्यों जरूरी है

- छह महीने के बाद बच्चे का शरीर और मस्तिष्क तेजी से बढ़ रहा होता है और उसे माँ के दूध की तुलना में अधिक ऊर्जा एवं पोषक तत्वों की जरुरत होती है।
- पूरक आहार देना शुरू करने का यही सही समय है।
- पूरक आहार देने में देरी से बच्चे का विकास प्रभावित होता है और कुपोषण का खतरा बढ़ जाता है।
क्या खिलाएं और क्या न खिलाएं

- शारीरिक और मस्तिष्क के विकास के लिए विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ जैसे दलिया, खीर, खिचड़ी, मसली हुई दालें, फल व सब्जियां खिलाएं।
- बच्चे के 9 महीने पूरे होने पर मांसाहार में अंडा, मछली, चिकन आदि खिलाया जा सकता है।
- बच्चों को चिप्स, पैकेज्ड जूस, बिस्कुट न खिलाएं।
बच्चों को कैसे खिलाएं और उनमें खाने की आदत कैसे ड़ालें

- खाने-पीने की वस्तुओं की स्वच्छता बनाए रखें और उन्हें ढ़ककर रखें।
- बच्चे को अलग बर्तन में खाना खिलाये और इस्तेमाल होने वाले सभी बर्तनों को अच्छी तरह से धोना चाहिए।
- बच्चे को खाना खिलाते समय उनकी ओर देखते रहें। धैर्य दिखाएं, प्रोत्साहित करें और उनके प्रति अपना प्यार जताएं।
- जबरदस्ती खाना न खिलाएं।
- जितनी जल्दी हो सके उनमें खुद से खाने की आदत को प्रोत्साहित करें
- बच्चों का पेट छोटा होता है, थोड़ी थोड़ी मात्रा में अधिक बार खिलाये बच्चे को उचित पोषण देने के लिए समय-समय पर पर्याप्त पूरक आहार के साथ-साथ कम से कम 2 साल तक निरंतर स्तनपान कराना अच्छा माना जाता है। जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है, बच्चे को खाने की मात्रा मात्रा बढ़ाएँ: 6-8 महीने के शिशुओं के लिए प्रति दिन 2 से 3 बार और 9-23 महीने के शिशुओं के लिए प्रति दिन 3 से 4 बार, इसके साथ-साथ जरुरत के अनुसार अन्य स्नैक्स भी खिलाएं; जरूरत के अनुसार अच्छे पूरक खाद्य पदार्थों या विटामिन-मिनरल वाले खाद्य पदार्थों का उपयोग करें और धीरे-धीरे ऐसे खाद्य पदार्थों को नियमित कर दें और इसमें विविधता आपनाएं।
पोषण संबंधी लाभों के अलावा, पूरक आहार बच्चों और उनके माता-पिता के बीच के बंधन को मजबूत बना सकता है।