यूनिसेफ प्रवासी महिलाओं एवं बच्चों की मदद में तत्पर है

यूनिसेफ हैदराबाद के क्षेत्रीय कार्यालय ने ज़रूरतमंद प्रवासियों को तत्काल मदद प्रदान करने के लिए आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक के सहयोगियों का आह्वान किया।

प्रसून सेन एवं अविनाश कस्तूरा
09 जून 2020

एक विशेष स्वास्थ्य सुरक्षा किट पाने के बाद छत्तीसगढ़ की पूर्ण गर्भवती प्रवासी कर्मी शांतिबाई ने भरी आँखों से कहा, "मैं इस सहयोग के लिए बहुत आभारी हूँ" | इस विशेष किट में वो सारी आवश्यक वस्तुएं थीं जिनकी शांतिबाई को सुरक्षित घर लौटने के लिए ज़रुरत पड़ सकती थी |  ये उन सैकड़ों किट में से एक थी जो कोविड - 19 महामारी के बाद अपने गृह राज्य को लौट रहे महिलाओं और बच्चों को दी जा रही थीं ताकि उनके पास कुछ पौष्टिक खाने को और कुछ आवश्यक स्वच्छता सम्बन्धी वस्तुएं हों | शांतिबाई ने यह किट यूनिसेफ और सहयोगियों द्वारा ज़रुरतमंद बच्चों और उनके परिवारों की मदद के लिए आदिलाबाद, तेलंगाना में स्थापित अस्थायी सहायता केंद्र से प्राप्त की |

शांतिबाई को आदिलाबाद में यूनिसेफ द्वारा तैयार किया गया विशेष किट दिया गया।
MAHITA
शांतिबाई को आदिलाबाद में यूनिसेफ द्वारा तैयार किया गया विशेष किट दिया गया।

शांतिबाई उन हज़ारों प्रवासी कर्मियों में से एक है जो भारत के इस महामारी के चपेट में आने के कारण अपने दूर दराज़ स्थित घरों की ओर इस मुश्किल सफर पर निकल पड़े हैं | अधिकरार प्रवासियों और उनके परिवार के लिए पिछले कुछ सप्ताह बहुत चुनौतीपूर्ण रहे - कोई काम नहीं, पैसा नहीं, और न रहने का ठिकाना, ऐसे में वे सिर्फ अपने घर वापस जाना चाहते हैं |

बहुतों के लिए ये अनुभव बहुत तकलीफदेह रहा, जैसे कि लता के लिए जिसके पास लॉकडाउन समाप्त होने के बाद न कोई काम था और न रहने की जगह |

उस ईंट भट्टे के मालिक ने, जहाँ मैं काम करती थी, मुझे डंडे से मारा और वहां से तुरंत निकल जाने को कहा । मेरे और मेरे बच्चों के पास वापस अपने घर जाने के सिवा और कोई रास्ता नहीं बचा |

ओडिशा की रहने वाली एक प्रवासी महिला लता

Latha a migrant woman worker from Odisha

ये दुखद है कि लता और उसके जैसे अन्य प्रवासी कर्मियों के पास वापस की यात्रा में उनकी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए कुछ नहीं था, जो कि बच्चों, गर्भवती महिलाओं और दूध पिलाने वाली माताओं की सलामती के लिए बहुत खतरनाक है |

इन तात्कलिक ज़रूरतों को ध्यान में रख कर, यूनिसेफ हैदराबाद के क्षेत्रीय कार्यालय ने, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक में राज्य सरकारों और राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोगों के साथ विमर्श कर के, बच्चों और महिलाओं पर केंद्रित प्रवासियों की मदद के लिए संयुक्त क्रियान्वयन के लिए सिविल सोसाइटी सहयोगियों एवं नेटवर्क, स्वयंसेवियों और दानकर्ताओं को प्रेरित किया |  

सहयोगियों को साथ लाना, संसाधनों का समुचित उपयोग

राज्यों के अनुसार योजनाएं बनायीं गयीं और तत्काल रणनीतिक पारगमन बिंदुओं पर दो राज्यों में यूनिसेफ के सहयोगी अलायन्स फॉर चाइल्ड राइट्स (ए सी आर) (EFFICOR, NATURE, CADME, और अन्य) सहित बाल अधिकार संस्थाओं के साथ तेलंगाना में दो स्थानों - आदिलाबाद एवं भद्राचलम और आंध्र प्रदेश में तीन स्थानों - विशाखापत्तनम, श्रीकाकुलम और गुडुर में - राहत केंद्र स्थापित किये गए | इन केंद्रों पर मुख्य फोकस 1100 से अधिक बच्चों और वयस्कों को प्रतिदिन मूलभूत राहत सेवाएं प्रदान करना था जैसे आराम, स्वास्थ्य सेवा, स्वच्छता और प्राथमिक चिकित्सा आदि |

कर्नाटक में राज्य सरकार की कोविड - 19 टास्क फाॅर्स और यूनिसेफ के सिविल सोसाइटी सहयोगी कर्नाटक चाइल्ड राइट्स ऑब्जर्वेटरी (के सी आर ओ) द्वारा एक संयुक्त कार्य योजना तैयार की गई, जिसके अंतर्गत राजधानी बेंगलुरु शहर की शहरी झुग्गी प्रवासी बस्तियों और रेलवे के बोर्डिंग पॉइंट्स ओर 500 से अधिक प्रवासी बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को प्रतिदिन विशिष्ट स्वच्छता एवं पोषण सम्बन्धी सहयोग प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया | 

बहुत सारे स्वयं सेवियों और स्थानीय दानकर्ताओं के साथ आ जाने से राहत कार्यों को बहुत बल मिला, जो यूनिसेफ और उसके सहयोगियों द्वारा प्रस्तुत किये गए उदाहरणों से प्रेरित हो कर इस विशाल प्रयास को सारे राज्यों में अपना समर्थन देने के लिए आगे आये | 

यूनिसेफ ने कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडियन इंडस्ट्रीज (सी आई आई) की स्थानीय इकाई, यंग इंडियन तथा अन्य सहयोगियों के साथ राज्य सरकारों की अपील का समन्वय करा कर राज्य सरकारों के लिए बच्चों और प्रवासियों की मदद हेतु साबुन, सैनीटाईज़र और खाना राशन के रूप में प्रत्यक्ष कॉर्पोरेट दान की व्यवस्था किया | 

 बेंगलुरु के एक रेलवे स्टेशन पर किट का वितरण।
CRT
बेंगलुरु के एक रेलवे स्टेशन पर किट का वितरण।

राहत कार्य

तेलंगाना और आँध्रप्रदेश के राहत केंद्रों पर राहत कार्यों की समुचित तैयारी हेतु एक सतत निगरानी तंत्र बनाया गया था जिसके माध्यम से प्रवासियों को ले जानी वाली बसों, बोर्डिंग केंद्र पर महिलाओं और बच्चों तथा कुल यात्रियों की संख्या आदि की सम्यक जानकारी दी जा सके | 

प्रवासियों की यात्रा को सुगम बनाने और उनकी स्वास्थ्य और स्वच्छता सम्बन्धी आवश्यकताओं को ध्यान में रख कर, विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों के लिए, आराम की सुविधाओं की व्यवस्था भी की गई थी | इन सुविधाओं में ये सुनिश्चित किया गया कि वहां महिलाओं और बच्चों के लिए स्वच्छ शौचालय, हाथ धोने के लिए साबुन और पानी तथा कुछ हल्के नाश्ते की व्यवस्था हो - और ये सब बिलकुल मुफ्त है | आवश्यकतानुसार लोगों को प्राथमिक चिकित्सा प्रदान की गई और जांच के लिए मेडिकल टीम के पास भेजा गया | अंत में, हर बच्चे और महिला को "स्वास्थ्य - स्वछता किट" दी गई जिससे उनकी आगे की यात्रा में उनके लिए स्वच्छता और पोषण सुनिश्चित किया जा सके | दो अलग - अलग किट तैयार किये गए थे - एक वयस्कों के लिए और एक विशेष रूप से बच्चों के लिए | वयस्कों के किट में दो लीटर पानी, फल, एक बन या ब्रेड, मास्क, साबुन, सेनेटरी पैड (महिलाओं के लिए) थे जबकि बच्चों के किट में ओरल रिहाईड्रेशन साल्ट (ओ आर एस), चिक्की या एक न्यूट्री बार और एक बन या ब्रेड थे | 

पारगमन केंद्रों से आगे की यात्रा पर निकलने के पहले माता - पिता के साथ एक संक्षिप्त परामर्श सत्र रखा गया जिसमे उन्हें यात्रा में बच्चों की देखभाल के सम्बन्ध में बताया गया और उनको राज्य हेल्पलाइन का नंबर भी दिया गया | यात्रा की सुरक्षित एवं सकुशल समाप्ति तक राहत दल के सदस्यों ने बस ड्राइवरों से संपर्क बनाये रखा | 

कर्नाटक में रेलवे बोर्डिंग केंद्रों पर और शहरी झुग्गियों में प्रवासी बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को ज़रूरी सामानों की विशेष किट देने में राज्य सरकार की आंगनवाड़ी कर्मियों द्वारा ज़रुरतमंद बच्चों और महिलाओं की सूची देने के रूप में बहुत सहयोग मिला और इस कार्य में बहुत से व्यवसायी भी आगे आये और उन्होंने राहत सामग्रियों में और इज़ाफ़ा किया | 

आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना के यूनिसेफ की क्षेत्रीय कार्यालय प्रमुख मीतल रुस्दिया  ने कहा "ये दिल को छूने वाली बात है जिस प्रकार इतने सारे सहयोगी, स्वयं सेवी और दानकर्ता ज़रूरतमंद प्रवासियों की मदद के लिए आगे आये | लेकिन यूनिसेफ के लिए असली सफलता तभी है जब हमें पता चले कि ये बच्चे, महिलाएं और परिवार स्वस्थ और सुरक्षित रूप से अपने घरों को पहुंच गए |"