बच्चों के खिलाफ हिंसा पर रोक

सभी बच्चों को हिंसामुक्त,सुरक्षित वातावरण में विकसित होने का अधिकार है।

Children playing traditional/indigenous games outside their house. Village Kodarvi Ranpur of Banaskantha District of Gujarat state, India.
UNICEF/UN0272281/Edwards

बच्चों के खिलाफ हिंसा न केवल उनके जीवन और स्वास्थ्य को,बल्कि उनकेभावात्मक कल्याण और भविष्य को भी खतरे में डालती है। भारत में बच्चों के खिलाफ हिंसा अत्यधिक है और लाखों बच्चों के लिए यह कठोर वास्तविकता है। दुनिया के आधे से अधिक बच्चों ने गंभीर हिंसा को सहन किया हैं और इस तादाद के 64 प्रतिशत बच्चे दक्षिण एशिया में हैं।

सभी बच्चों को हिंसा,शोषण और दुर्व्यवहार से सुरक्षित रहने का अधिकार है। फिर भी,दुनिया भर में सभी सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि के सभी उम्र,धर्मों और संस्कृतियों के लाखों बच्चे हर दिन हिंसा,शोषण और दुर्व्यवहार का शिकार होते हैं। यह हिंसा शारीरिक,यौन और भावनात्मक हो सकती है और उपेक्षा का रूप भी ले सकती है। यह हिंसा अंतर्वैयक्तिक हो सकती है और उन संरचनाओं का परिणाम है जो हिंसक व्यवहार को अनुमति और बढ़ावा देते हैं।

साक्ष्य दिखाते हैं कि हिंसा,शोषण और दुर्व्यवहार अक्सर बच्चे के जानकार व्यक्ति द्वारा किया जाता है। इसमें माता-पिता,परिवार के अन्य सदस्य,उन्हें देखभाल करने वाले,शिक्षक,मालिक,कानून प्रवर्तन अधिकारी,राज्य और गैर-राज्य एक्टर और अन्य बच्चे शामिल हैं।

घर,परिवार,स्कूल,देखभाल और न्याय प्रणाली संबद्ध स्थान,कार्यस्थल और समुदाय में सभी संदर्भो में-जिसमें संघर्ष और प्राकृतिक आपदाएं भी शामिल है- हिंसा,शोषण और दुर्व्यवहार होता है। कई बच्चों को कई प्रकार की हिंसा,शोषण और दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता है, जिसमें यौन दुर्व्यवहार व शोषण,सशस्त्र हिंसा,तस्करी,बाल श्रम,लिंग आधारित हिंसा,दादागीरी (देखें यूनिसेफ प्रकाशन,टू ऑफन इन साइलेंस,2010),गैंग हिंसा,महिला जननांग विकृति,बाल विवाह,शारीरिक और भावनात्मक रूप से हिंसक बाल अनुशासन,और अन्य हानिकारकप्रथाएं शामिल हैं । इंटरनेट के बढ़ते उपयोग से बच्चों के साथ हिंसा के नए आयाम,जैसे साइबर-उत्पीड़न और ऑनलाइन यौन शोषण,के रूप में हो रही है। इस तरह की हिंसा के नतीजे हानिकारक और दीर्घकालिक हैं।

लोग,बच्चों के खिलाफ हिंसा,शोषण और दुर्व्यवहार की रिपोर्ट देने में हिचकिचाते हैं। इस कारण हिंसा का सामना करने वाले बच्चों की संख्या की जानकारी वास्तविकता से कम ही है। नतीजन इन अपराधों की जाँच कम हो पाती है और बहुत कम दोषियों को जिम्मेदार ठहराया जाता है।

इस बात के महत्वपूर्ण सबूत हैं कि हिंसा,शोषण और दुर्व्यवहार बच्चे के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए अल्प और दीर्घकालिक रूप से हानिकारक हैं। ऐसे बच्चों की सीखने और सामाजिक समन्वय की क्षमता कम हो सकती है। उनके व्यस्क जीवन में भी इसके प्रतिकूल परिणाम देखने को मिलते हैं।

सरकारों,नीति निर्माताओं और यूनिसेफ जैसे बाल-केंद्रित संगठनों परबच्चों के लिए सुरक्षित वातावरण बनाने और हिंसा के शिकार हुए बच्चों की रक्षा की ज़िम्मेदारी है। बच्चों के लिए सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करने में सरकार,समुदाय,स्थानीय प्रशासन,गैर-सरकारी संगठन,धार्मिक और सामाजिक संगठन मदद कर सकते हैं।

न केवल भारत में बल्कि विश्व स्तर पर प्राप्त कई अच्छे अनुभव बताते है कि हिंसा की रोकथाम से ही हिंसा का अंत होता है। बच्चों में व्यक्तिगत सुरक्षा को बढ़ावा देना,स्कूलों में बाल संरक्षण नीतियों और बच्चों के यौन शोषण को रोकने के लिए माता-पिता की बढ़ती जागरूकता आवश्यक है। छोटे बच्चे अपने बचाव करने में और भी अधिक अशक्त होते हैं। उनके लिए परिवारों और शिक्षा संस्थानों की सुरक्षात्मक भूमिका को मजबूत करने के लिए विशिष्ट तरीके अपनाने होंगे।

बच्चों के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है कि हम इसके पीछे कारणों और उनके बीच के परस्पर क्रिया को समझें। बाल संरक्षण प्रणालियाँ,सभी बच्चों और उनके परिवारों के जीवन में बाल हिंसा के जोखिम के हर पहलू को संबोधित करने का प्रयास करती हैं। सरकारी,गैर-सरकारी संगठनों,सिविल सोसाइटी कार्यकर्ताओं और निजी क्षेत्र सहित भागीदारों के साथ,यूनिसेफ बाल संरक्षण प्रणालियों के सभी घटकों जैसे कि मानव संसाधन,वित्त,कानून,मानक,शासन,निगरानी और सेवाएं को मजबूत करने को बढ़ावा देता है।

यूनिसेफ और उसके सहयोगी, बाल संरक्षण प्रणालियों के विश्लेषण और मानचित्रण में सहयोग करते हैं । यह कार्य, सरकार और समाज के बीच ऐसी प्रणालियों के लक्ष्यों और घटकों, उनकी क्षमताओं, कमजोरियों और प्राथमिकताओं पर आम सहमति बनाने में मदद करता है। जिससे यह बच्चों की सुरक्षा में बेहतर कानूनों, नीतियों, विनियमों, मानकों और सेवाओं के रूप में परिवर्तित होता है। यह बच्चों के लिए बेहतर परिणाम देने वाली प्रणालियों के लिए आवश्यक वित्तीय और मानव संसाधनों को भी सुदृढ़ करता है।

पिछले एक दशक में,यूनिसेफ ने उन सामाजिक प्रथाओं को समझने में सहयोग किया जिसके परिणामस्वरूप हिंसा,शोषण और दुर्व्यवहार होता है,और पूरे देश में परिवर्तन को बढ़ावा देने के लिए काम किया है। सकारात्मक मानकों को बढ़ावा दे कर हानिकारक प्रथाओं को समाप्त करने के लिए,यूनिसेफ,एडवोकेसी करने और जागरूकता बढ़ाने में संलग्न है और समुदाय,जिला,राज्य और राष्ट्रीय स्तरों पर चर्चा,शिक्षा कार्यक्रम और विकास के लिए संचार रणनीतियों आदि में संलग्न है। प्रभावी कानून,नीतियों,विनियमों और सेवाओं के साथ संयुक्त होने पर स्थापित होने वाली प्रक्रिया सामुदायिक मूल्यों और मानव अधिकारों पर केंद्रित होती हैं औरसकारात्मक और स्थायी परिवर्तन लाती है।

हिंसा,शोषण और दुर्व्यवहार की रोकथाम और प्रतिक्रिया,बच्चे के संपूर्ण जीवन चक्र पर केंद्रित है।

बच्चों के खिलाफ सभी प्रकार की हिंसा को रोकने और प्रतिक्रिया देने के लिए,मानव अधिकारों,नैतिक और आर्थिक दृष्टिकोण से,बाल संरक्षण प्रणालियों में निवेश करना महत्वपूर्ण है।

यूनिसेफ सरकार और समाज के साथ बच्चों को हिंसा से बचाने के लिए कार्यबल की क्षमता को मजबूत करने का काम करता है। इसमें सामाजिक सेवा से संबंधित क्षेत्रों में डिग्री कार्यक्रमों को शुरू करने या सुधारने के लिए विश्वविद्यालयों के साथ काम करना,और पुलिस और न्यायपालिका के मौजूदा पाठ्यक्रमों में बाल संरक्षण विशिष्ट मॉड्यूल को जोड़ना शामिल है। इस क्षेत्र में कार्यरत कर्मियों को नए साधन और तरीके की निरंतर पहुँच सुनिश्चित करने के लिए यूनिसेफ उनके साथ काम करता है,और उन्हे लागू करने के लिए संसाधन उपलब्ध कराने में सहयोगदेता है।

समुदायों और परिवारों के साथ हिंसा को पहचानने और सकारात्मक अनुशासन जैसी उन प्रथाओं का समर्थन करना भी यूनिसेफ कार्यक्रम का हिस्सा हैं। हिंसा के खिलाफ खड़ा होना और रिपोर्ट करने के लिए  वातावरण तैयार करना समुदायों का महत्वपूर्ण पहला कदम है। हिंसा को संबोधित करने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि इसे होने ही न दिया जाए।