कर्नाटक में बच्चे
प्रदेश की आबादी का महत्वपूर्ण अनुपात का कई मानव विकास संकेतकों पर पिछड़ना जारी है और अधिक संख्या में बाल श्रम, बाल विवाह और बाल तस्करी की घटनाओं की रिपोर्ट करता है।
चुनौती
कर्नाटक के तीन मुख्य भौगोलिक क्षेत्र हैं - तटीय क्षेत्र, पश्चिमी घाट से लगा पहाड़ी क्षेत्र और डेक्कन पठार के मैदानों को कवर करने वाला क्षेत्र। पिछले दो दशकों में एक प्रभावशाली आर्थिक विकास दर के कारण कर्नाटक ने स्वास्थ्य और शिक्षा सहित सामाजिक विकास के क्षेत्रों में निवेश किया है।
हालांकि, प्रदेश का उत्तरी क्षेत्र, जहाँ अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अल्पसंख्यकों की उल्लेखनीय आबादी है, का कई मानव विकास संकेतकों पर पिछड़ना जारी है और यहाँ भारी संख्या में बाल श्रम, बाल विवाह और बाल तस्करी की घटनाओं की रिपोर्ट मिलती है। बेंगलुरु, मैसूरु और अन्य छोटे शहरों का तेजी से शहरीकरण प्रदेश के उत्तरी क्षेत्र और अन्य प्रदेशों से वयस्कों और बच्चों की एक बड़ी संख्या को आकर्षित करता है।
लगभग 20.9 फीसदी आबादी गरीबी रेखा से नीचे रहती है। राज्य सतत् विकास लक्ष्यों (एसडीजी) और विश्व स्वास्थ्य असेंबली के लक्ष्यों के संरेखण में अपने विजन 2025 लक्ष्य के हिस्से के रूप में एक पोषण नीति की दिशा में काम कर रहा है, और सार्वभौमिक लक्ष्यित स्कीमों के जरिये पोषण सप्लीमेंट नेट को चौड़ा कर रहा है।
कर्नाटक उन कुछ प्रदेशों में से एक है, जो संविधान के 73वें और 74वें संशोधन के अनुसार विकेंद्रीकरण प्रक्रियाओं को लागू करता है, स्थानीय संस्थाओं और समुदायों को विकास गतिविधियों में भाग लेने के लिए सशक्त बनाता है।
प्रदेश के लिए कुछ प्रमुख संकेतक ये हैं कि नवजात मृत्यु दर 19 प्रति 1000 जीवित जन्म है और मातृ मृत्यु अनुपात 133 प्रति 100,000 जीवित जन्मों पर उच्च स्तर पर है (स्रोत : नमूना पंजीकरण प्रणाली 2015)। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) 4 के अनुसार, पाँच साल से कम उम्र के बच्चों में विकास अवरुद्धता 36 प्रतिशत और पाँच वर्ष से कम उम्र के 26 प्रतिशत बच्चे शक्तिहीन हो जाते हैं, और 10.5 प्रतिशत बच्चे गंभीर रूप से शक्तिहीन हो जाते हैं। प्रदेश में ग्रामीण स्वच्छता कवरेज 86 प्रतिशत (स्वच्छ भारत मिशन एमआईएस) है।
ऐनुअल स्टेटस ऑफ़ एजुकेशन रिपोर्ट 2016 के निष्कर्ष बताते हैं कि 10 वर्षों के बाद, शुरुआती कक्षाओं में सार्वजनिक वित्त पोषित विद्यालयों में पढ़ने और अंकगणितीय अंकों में सुधार हुआ है। एनएफएचएस-4 के अनुसार, 20-24 वर्ष के आयु वर्ग की 23.2 प्रतिशत महिलाओं की शादी 18 साल की आयु से पहले हो जाती है।
बच्चों के अधिकारों और कल्याण को आगे बढ़ाना
यूनिसेफ चार जिलों में सरकार के प्रमुख स्वास्थ्य कार्यक्रम प्रजनन, मातृ, नवजात, बाल और किशोर स्वास्थ्य (आरएमएनसीएच + ए) रणनीति के कार्यान्वयन में प्रमुख विकास भागीदार है। इसके अलावा, शिशुओं और छोटे बच्चों को दूध पिलाने की उपयुक्त प्रथाओं को बढ़ावा देकर शिशुओं और छोटे बच्चों के बीच विकास अवरुद्धता और अल्पपोषण को कम करने और गंभीर तीक्ष्ण कुपोषण के इलाज और प्रबंधन के लिए प्रदेश को सहायता प्रदान की जाती है। यूनिसेफ आरोग्य जागरूकता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करता है, और खुले में शौच के उन्मूलन और स्वच्छ एवं सुरक्षित पेयजल तक पहुँच सुनिश्चित करने के प्रदेश के प्रयासों में समर्थन करता है।
शिक्षा पर हमारा काम सीखने का ऐसा वातावरण प्रदान करना चाहता है जहाँ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सेवाओं तक लड़कियों और लड़कों की समान पहुँच और लाभ लेने का मौका हो। यूनिसेफ खतरनाक श्रम, बाल विवाह, तस्करी और अन्य प्रकार के शोषण से बच्चों को बचाने के लिए कानूनों को सख्ती से अमल सुनिश्चित करने पर काम करता है।
यूनिसेफ समानता इक्विटी अंतराल को खत्म करने और स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं में की जाने वाली देखभाल की गुणवत्ता में सुधार करने में सरकार का समर्थन करता है। यूनिसेफ का जोर साक्ष्य-आधारित नियोजन, बजट निर्धारण और स्वास्थ्य कार्यक्रमों की निगरानी के लिए डेटा को एक्सेस करने, उत्पन्न करने और उपयोग करने की प्रदेश की क्षमता को मजबूत करने पर है।
हम खासतौर पर शहरी मलिन बस्तियों में स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं के कवरेज का विस्तार करने और स्तनपान जल्दी शुरू कराने की निम्न दर, उच्च सिजेरियन ऑपरेशन की दर और एंटीबायोटिक दवाओं के अति प्रयोग जैसे मुद्दों का समाधान करते के लिए निजी क्षेत्र के साथ भी सक्रिय हो रहे हैं।
टीकाकरण कार्यक्रम का फोकस खसरा का उन्मूलन करने, रूबेला को नियंत्रित करने, नये वैक्सीन पेश करने और प्रदेश में शहरी झुग्गियों और निम्न टीकाकरण कवरेज वाले इलाकों में कवरेज के मुद्दों का समाधान करने के प्रदेश के प्रयासों का समर्थन करने पर है। टीकों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए यूनिसेफ कोल्ड चेन और सप्लाई चेन प्रणालियों की गुणवत्ता में सुधार करने को भी प्राथमिकता देता है।
प्रदेश में अपेक्षाकृत अच्छा शासन तंत्र है और पोषण के क्षेत्र में नवाचारों को प्रदर्शित करने की क्षमता है। इसलिए, यूनिसेफ यह सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करता है कि सबसे कमजोर आबादी सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली पोषण सेवाओं तक पहुँच बना सके।
यूनिसेफ, सेवाओं के समय पर वितरण समेत स्वच्छता कार्यक्रम के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए प्रदेश और जिला अधिकारियों की क्षमताओं के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करता है। सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र और नागरिक समाज संगठनों के साथ गठबंधन में, यूनिसेफ टिकाऊ रूप से खुले में शौच से मुक्त समुदायों के निर्माण के उद्देश्य से अभियान चलाने के लिए जिलों, ब्लॉकों और ग्राम पंचायतों में स्वच्छाग्रहियों (स्वच्छता स्वयंसेवकों) का एक बड़ा पूल बनाने में मदद कर रहा है।
यूनिसेफ अन्य विभागों के समन्वय में जल संरक्षा और सुरक्षा योजनाओं के विकास के लिए बेहतर नीतियों और रणनीतियों के लिए प्रदेश से पैरवी करता है। प्रभावी सेवा वितरण, बाल-अनुकूल तकनीकों को बढ़ावा देने के लिए और विद्यालयों, आंगनवाड़ियों और स्वास्थ्य सुविधाओं में पानी, स्वच्छता, और आरोग्य सुविधाओं के टिकाऊ संचालन और प्रबंधन के लिए अधिकारियों की क्षमता विकसित करने में राज्य को समर्थन दिया जाता है। यूनिसेफ के काम का एक प्रमुख अंग उन सभी सरकारी कार्यक्रमों में सामाजिक और व्यवहार परिवर्तन संचार दृष्टिकोणों को शामिल करना है जो समुदायों और स्थानीय संस्थानों की बेहतर भागीदारी के लिए पानी, स्वच्छता और आरोग्य सेवाओं का समाधान करते हैं।
यूनिसेफ शिक्षा कार्यक्रम के प्रभावी समन्वय, कार्यान्वयन और निगरानी के लिए सरकारी विभागों में क्षमता निर्माण का समर्थन करता है। पैरवी प्रयासों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मॉडल वैकल्पिक प्राथमिक शिक्षा प्रणालियों को बढ़ावा देना है जो विद्यालय नही जाने वाले विशेष रूप से वंचित समुदायों के बच्चों और किशोरों तक पहुँचने में लचीली और समावेशी हैं।
यूनिसेफ गुणवत्ता वाले मॉडल प्रदर्शित करने के लिए प्रौद्योगिकी-आधारित शिक्षण और अनुदेशन विधियों का भी उपयोग करता है जो वंचित समुदायों, दिव्यांग वर्गों और शहरी झुग्गियों के बच्चों के लिए शैक्षिक परिणामों को बेहतर बनाने में मदद करते हैं।
यूनिसेफ उन सामाजिक संरक्षण योजनाओं के कार्यान्वयन को मजबूत करने को प्राथमिकता देता है जो माता-पिता को अपने बच्चों को विद्यालय भेजने में सक्षम बनाते हैं। यूनिसेफ बच्चों की सुरक्षा के लिए निगरानी प्रणाली स्थापित करने समेत बाल संरक्षण सेवाओं के जरिये बाल संरक्षण इकाइयों को मजबूत करके प्रदेश और जिलों का समर्थन करता है।
बच्चों को संस्थागत बनाने से रोकने वाली प्रणालियों को मजबूत करने को प्राथमिकता दी जाती है और पैरवी कार्य परिवारों को मजबूत बनाने एवं आवासीय देखभाल की मांग घटाने की रणनीति के रूप में सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के साथ जुड़ाव पर केंद्रित है। यूनिसेफ बाल विवाह को रोकने के लिए कानूनों के प्रवर्तन को मजबूत करने के लिए प्रदेश के साथ काम करता है और बच्चों के खिलाफ हिंसा और बाल विवाह पर चर्चा को तेज करने और मुद्दे को सामने लाने और राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बनाने के लिए इस मुद्दे को सार्वजनिक एजेंडा में रखने पर ध्यान केंद्रित करता है।
यूनिसेफ के कार्यक्रमों का क्रॉस-कटिंग हस्तक्षेप दो जीवन चक्र चरणों के आधार पर बनाया गया है - प्रारंभिक बचपन विकास (0-6 वर्ष) और किशोर सशक्तीकरण (10-19 वर्ष) - जो बच्चों और महिलाओं के अधिकारों को दिलाने के लिए सभी कार्यक्रम परिणामों में शामिल होता है।
प्रदेश प्राकृतिक आपदाओं से ग्रस्त है, जिसके तीन जिले चक्रवात के निशाने पर होते हैं, जिससे प्रदेश की आबादी का एक बड़ा अनुपात प्रभावित होता है। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण जैसे सांविधिक निकाय अभी तक पूरी तरह सक्रिय नहीं हैं। यूनिसेफ प्रदेशों की क्षमताओं का निर्माण करता है और स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं की समय पर डिलीवरी और जलवायु-लचीले सुरक्षित जल प्रणालियों के सतत प्रबंधन के लिए जिलों का चयन करता है। यूनिसेफ खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए एक आपातकालीन तैयारी योजना विकसित करने के लिए प्रदेश में सूखा प्रभावित जिलों पर काम कर रहा है। विद्यालयों की सुरक्षा के लिए बाल संरक्षण नीतियों को आपदा जोखिम कम करने की पहल की मुख्य धारा में लाने पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है।