मातृ स्वास्थ्य
गुणवत्तापूर्ण मातृ स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच में वृद्धि के लिए यूनिसेफ के संगठित कदम
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जब किसी मां की बाहों में उसके नवजात को दिया जाता है तो उसे अपार खुशी महसूस होती है - हर मां को इस खुशी को पाने का अधिकार है। लेकिन भारत में कई गर्भवती महिलाओं के जीवन में यह पल कभी नहीं आता,अपितु प्रसव का क्षण प्रायः भयावह होता है।
मातृ मृत्यु को एक प्रमुख स्वास्थ्य संकेतक माना जाता है। मातृ मृत्यु के प्रत्यक्ष कारणों की जानकारी भलीभांति रूप् से उपलब्ध है,और काफी हद तक इनकी रोकथाम और उपचार किया जा सकता है।
सभी मातृ मृत्युओं के दो तिहाई हिस्से के प्रमुख कारण हैं - अत्यधिक रक्तस्राव (अधिकांश मामलों में प्रसव उपरांत),संक्रमण (सामान्यतः प्रसव उपरांत),गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप (प्राकगर्भाक्षेपक और गर्भाक्षेपक),प्रसव और असुरक्षित गर्भपात संबंधी जटिलताएं।
15 से 19वर्ष की आयु के बीच की लड़कियों की मृत्यु का सर्वप्रमुख कारण गर्भावस्था संबंधी जटिलताएं हैं। चूंकि,किशोर लड़कियों का शरीर अभी विकसित हो रहा होता है,गर्भ ठहरने पर उन्हें जटिलताओं का अधिक जोखिम होता है। इसके अतिरिक्त,बालवधुओं को गर्भावस्था के दौरान समुचित चिकित्सा देखभाल अथवा किसी स्वास्थ्य सुविधा में प्रसव करने की संभावना,वयस्क होने पर विवाह करनेवाली महिलाओं की अपेक्षा कम होती है।
सभी महिलाओं को गर्भावस्था में प्रसव पूर्व देखभाल,प्रसव के दौरान कुशल देखभाल और प्रसव के बाद के कई सप्ताह तक देखभाल और सहायता तक पहुंच की आवश्यकता होती है। सभी प्रसवों में कुशल स्वास्थ्य पेशेवरों द्वारा सहायता मिलनी चाहिए,क्योंकि समय पर प्रबंधन और उपचार मिलना माँ और बच्चे,दोनों के लिए जीवन-मृत्यु का अंतर हो सकता है।
हालांकि,जानकारी के अभाव,नीतियों और संसाधनों के उपलब्ध न होने के कारण जीवन रक्षक स्वास्थ्य हस्तक्षेप और व्यवहारों का कार्यक्षेत्र कम है। कुछ क्षेत्रों में,अमीर और गरीब का अंतर और शहरी-ग्रामीण का विभाजन है। स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच अक्सर किसी परिवार या माता की आर्थिक स्थिति और रहने के स्थान पर निर्भर करता है।
भारत ने संस्थागत प्रसव में सुधार लाने में अत्यंत प्रगति की है। अब,प्रसवपूर्व और प्रसव के दौरान देखभाल की गुणवत्ता में सुधार करने और यह सुनिश्चित करने पर ध्यान होना चाहिए कि प्रत्येक महिला,सुरक्षित हाथों से,सम्मान और गरिमा के साथ एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे।
यूनिसेफ,नियोजन,बजट,नीति निर्माण,क्षमता निर्माण,निगरानी और मांग निर्माण में सहायता करने के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय

(एमओएचएफडब्ल्यू),महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (एमडब्ल्यूसीडी),नीति आयोग,और राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम करता है। यह प्रभावी मातृ-स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं के नियोजन,कार्यान्वयन,निगरानी और पर्यवेक्षण के लिए जिला और ब्लॉक-स्तर पर स्वास्थ्य प्रबंधकों और पर्यवेक्षकों की क्षमताओं का समर्थन करता है जिसमें अत्यधिक जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं और दुर्गम स्थानों पर,असुरक्षित और सामाजिक रूप से वंचित समुदायों की महिलाओं पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। यूनिसेफ,भारत सरकार द्वारा विभिन्न हस्तक्षेपों के कार्यान्वयन में सहायता प्रदान करता है,जिसमें शामिल हैंः
प्रत्येक मां तक पहुंचनाः यूनिसेफ,स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की नीति का समर्थन करता है कि प्रत्येक प्रसव,किसी स्वास्थ्य सेवा सुविधा में एक कुशल स्वास्थ्य सेवा प्रदाता द्वारा ही किया जाना चाहिए।
देखभाल की निरंतरताः निरंतर देखभाल दृष्टिकोण के जरिए गर्भवती के स्वास्थ्य और पोषण में सुधार करना और गुणवत्तापूर्ण मातृ और शिशु स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना। इसमें परिवार नियोजन,गर्भावस्था के दौरान प्रसव पूर्व देखभाल,कुशल परिचारकों द्वारा सामान्य प्रसव का बेहतर प्रबंधन,आवश्यकता पड़ने पर आपातकालीन प्रसूति और नवजात की देखभाल तक बेहतर पहुंच और प्रसव उपरांत,मां और शिशु,दोनों के लिए समय पर देखभाल शामिल है।
प्रसव पूर्व देखभालः सभी गर्भवती माताओं को गर्भधारण की जानकारी होने पर,प्रसवपूर्व देखभाल के लिए शीघ्रातिशीघ्र निकटतम स्वास्थ्य सुविधा में पंजीकरण कराना चाहिए ताकि वे अपने गर्भ की स्वस्थ प्रगति से आश्वस्त हो सकें और ऐसे उच्च जोखिमों का समय पर पता चल जाए जिनसे उनका एवं उनके बच्चे का स्वास्थ्य प्रभावित होता है।
प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृवत् अभियान (पीएमएसएमए)% - स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा शुरू किए गए इस अभियान के तहत प्रत्येक माह की 9 तारीख को सुनिश्चित,व्यापक और गुणवत्तापूर्ण प्रसवपूर्व देखभाल निःशुल्क प्रदान की जाती है। इस कार्यक्रम से प्रसव पूर्व देखभाल,उच्च जोखिम वाले गर्भधारण का पता लगाने और उस पर अनुवर्ती कार्रवाई करने में सुदृढ़ता आती है,एवं मातृ मृत्यु में कमी लाने और भारत में मातृ-मृत्यु दर में गिरावट लाने में योगदान मिलता है।
जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम (जेएसएसके)% इस योजना में महिलाओं और बच्चों के लिए निःशुल्क मातृ-सेवाओं,आपातकालीन रेफरल प्रणाली को राष्ट्रव्यापी पैमाने पर ले जाना और मातृ-मृत्यु लेखापरीक्षा और सभी स्तरों पर स्वास्थ्य सेवाओं के शासन और प्रबंधन में सुधार शामिल है।
मातृ स्वास्थ्य में सुधार लाने और महिलाओं का जीवन बचाने का वैश्विक लक्ष्य प्राप्त करने के लिए हमें उन लोगों तक पहुंचने के लिए और अधिक प्रयास करना होगा,जिन्हें अधिक जोखिम है - जैसे ग्रामीण क्षेत्रों,शहरी स्लम और गरीब घरों की महिलाएं,किशोर माताएं एवं अल्पसंख्यक,आदिवासी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समूहों की महिलाएं।