कोविड-19 महामारी प्रतिक्रिया
यूनिसेफ शुरू से ही कोविड-19 आपातकालीन प्रतिक्रिया का हिस्सा रहा है। वन यूएन एक्शन प्लान की दिशा में भारत सरकार, डब्ल्यूएचओ और अन्य संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के साथ मिलकर काम कर रहा है।

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सरकारों द्वारा अपने लोगों का युद्ध स्तर पर वैक्सीनेशन कराने के बावजूद पूरी दुनिया को अपनी चपेट में लेने वाली कोविड-19 महामारी अभी भी कई देशों में फैलते हुए दिख रही है। नए वैरिएंट से चिकित्सा और वैज्ञानिक समुदाय को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। यहां तककि शक्तिशाली देशों को भी लॉकडाउन लगाने और अपनी सीमाओं के बंद करने से पैदा होने वाली कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है।
भारत में कोविड-19 का पहला मामला 30 जनवरी 2020 को केरल के त्रिशूर में सामने आया था। मार्च 2020 के अंत तक, इन मामलों की संख्या 1000 हो गई थी। भारत सरकार ने महामारी को फैलने से रोकने के लिए देशव्यापी लॉकडाउन लगाया था और इसे फिर जुलाई 2020 तक बढ़ा दिया। भारत ने इस दौरान अपने स्वास्थ्य देखभाल अवसंरचना को बढ़ाया, और सितंबर 2020 के अंत तक नए मामलों की संख्या में कमी देखी गई। भारत ने 16 जनवरी 2021 को अपना कोविड-19 टीकाकरण अभियान भी शुरू किया। हालाँकि, इसके बाद कई नए वैरिएंट सामने आए, जिसकी वजह से भारत को कोविड की दूसरी लहर की बहुत गंभीर स्थिति का सामना करना पड़ा।
यूनिसेफ की प्रोग्रामेटिक प्रतिक्रिया
यूनिसेफ शुरू से ही कोविड-19 आपातकालीन प्रतिक्रिया का हिस्सा रहा है। भारत सरकार के साथ मिलकर काम करते हुए, यूनिसेफ ने तेजी से काम किया, कई नई चीजें सीखीं, बहु-क्षेत्रीय दृष्टिकोण अपनाया और डब्ल्यूएचओ तथा अन्य संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के साथ मिलकर वन यूएन एक्शन प्लान की दिशा में काम किया। यूनिसेफ के दो उद्देश्य थे:
स्तंभ 1 - महामारी को नियंत्रित करने और रोगियों की संख्या तथा मृत्यु दर को कम करने के उद्देश्य से सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय करना, और
स्तंभ 2 - सबसे कमजोर समुदायों पर विशेष ध्यान देते हुए माताओं और बच्चों के लिए आवश्यक जीवन रक्षक मातृ, नवजात एवं बाल स्वास्थ्य (एमएनसीएच) सेवाओं में सततता सुनिश्चित करना।
स्तंभ 1- कोविड-19 प्रतिक्रिया में निम्नलिखित गतिविधियाँ शामिल रहीं।
स्तंभ- 2 के तहत, यूनिसेफ का मुख्य ध्यान किशोर स्वास्थ्य, नियमित टीकाकरण एवं नवजात शिशुओं को घर पर देखभाल सहित मातृ एवं बाल स्वास्थ्य सेवाओं को बहाल करना था। इसमें शामिल प्रमुख गतिविधियां निम्नवत् हैं:
प्रभाव
- भारत भर में लगभग 660 मिलियन बच्चों तथा उनके परिवारों तक पुराने और कई नए चैनलों के ज़रिए कोविड-19 से बचने से जुड़ी सटीक जानकारी पहुंचाई गई।
- सामाजिक एकता बनाए रखते हुए और भेदभाव न बढ़े इसका ध्यान रखते हुए यह सुनिश्चित करने की दिशा में कि लोग शारीरिक व सामाजिक दूरी का पालन करें, यूनिसेफ ने गलत सूचनाओं और सांप्रदायिक तनावों को दूर करने पर विशेष ध्यान दिया है।
- बनाये गए फीडबैक तंत्र के ज़रिए चार मिलियन लोग नियमित रूप से अपनी समस्याएं बता रहे हैं और कोविड-19 से जुड़ी जानकारी पा रहे हैं।
- 61.8 मिलियन लोग प्रतिक्रिया के विभिन्न तरीकों से संबंधित डिजिटल और गैर-डिजिटल प्लेटफार्मों के ज़रिए कोविड-19 पर दोतरफा संचार, सार्थक भागीदारी और स्थानीय कार्रवाई की सुविधा देने वाली गतिविधियों में जुड़े हुए हैं।
- भारत भर में 3.6 मिलियन लोगों तक महत्वपूर्ण वॉश आपूर्ति (स्वच्छता वस्तुओं सहित) एवं सेवाएं पहुंचाई गईं।
- 2.5 मिलियन स्वास्थ्य सुविधा कर्मचारियों और सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को संक्रमण की रोकथाम एवं नियंत्रण संबंधित प्रशिक्षण दिया गया।
- 50 जिलों को कवर करते हुए 256 स्वास्थ्य सुविधाओं में आईपीसी का द्विवार्षिक मूल्यांकन किया गया। स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं तथा संगरोध केंद्रों का वॉश आकलन किए गए हैं। आवश्यक स्वास्थ्य और पोषण सेवाएं जारी रहें, यह सुनिश्चित करने के लिए यूनिसेफ ने राज्य सरकारों के साथ मिलकर लॉकडाउन के दौरान मौजूदा योजनाओं को अपनाने हेतु काम किया।
- स्वास्थ्य सुविधाओं एवं समुदायों के 34,700 स्वास्थ्य कर्मियों को व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) प्रदान किया गया।
- यूनिसेफ के समर्थन से 333,000 से अधिक बच्चों और उनकी देखभालकर्ताओं को मनोसामाजिक सहायता प्रदान की गई है, जिसमें सरकार के साथ बाल संरक्षण कार्यकर्ताओं एवं परामर्शदाताओं का प्रशिक्षण शामिल है।
- यूनिसेफ समर्थित सुविधाओं में प्रसव पूर्व, प्रसव एवं प्रसवोत्तर देखभाल, आवश्यक नवजात शिशु देखभाल, टीकाकरण, बचपन में होने वाली बीमारियों का उपचार और एचआईवी देखभाल सहित 19.7 मिलियन बच्चों और महिलाओं को आवश्यक स्वास्थ्य देखभाल प्राप्त हुईं।
- 1.48 मिलियन स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को कोविड-19 मामलों का पता लगाने, रेफरल और उचित प्रबंधन में प्रशिक्षित किया गया।
- 102,400 बच्चों (6-59 महीने के) को गंभीर तीव्र कुपोषण (एसएएम) के इलाज के लिए भर्ती कराया गया था।

राज्यों के साथ समन्वय
यूनिसेफ इंडिया के कंट्री ऑफिस (आईसीओ) ने आपातकालीन चिकित्सा आपूर्ति की खरीद, कोविड-19 सुविधाओं के सहायक पर्यवेक्षण, मनोसामाजिक सहायता प्रदान करने और जोखिम संचार एवं सामुदायिक जुड़ाव (आरसीसीई) गतिविधियों के कार्यान्वय हेतु भारत भर के कार्यक्रम में शामिल 24 राज्यों के साथ मिलकर काम किया।
यूनिसेफ ने महामारी प्रतिक्रिया, योजना और कोविड-19 से मुकाबले के लिए जरुरी वस्तुओं एवं संसाधनों के उपयोग का आकलन, प्रवासी ट्रैकिंग, और वास्तविक समय डेटा निगरानी का इस्तेमाल करके उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों की पहचान करने में राज्यों की सहायता की।
इन कोविड-19 संबंधी गतिविधियों के अलावा, यूनिसेफ इंडिया ने राज्य-विशिष्ट दिशानिर्देशों तैयार करने और आरएमएनसीएच+ए सेवाओं को फिर से शुरू करने हेतु राष्ट्रीय दिशानिर्देशों के कार्यान्वयन का समर्थन किया।
राज्य स्तर पर किए गए कुछ कार्यों को इस वेबसाइट पर प्रदर्शित किए गए फोटो और वीडियो कहानियों में दर्शाया गया है। (माइक्रोसाइट से लिंक)