छत्तीसगढ़ के बच्चे
राज्य में विशेष रूप से कमजोर आदिवासी समूह रहते हैं
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चुनौती
छत्तीसगढ़ भारत के सबसे नए राज्यों में से एक है। यह संसाधन और खनिज संपदा से समृद्ध राज्य है, जो भारत में सबसे तेजी से विकसित हो रहे राज्यों में से एक है। राज्य बिजली और इस्पात के संसाधनों का बहुत बड़ा स्रोत है, कुल स्टील उत्पादन में इसकी हिस्सेदारी 15 प्रतिशत है। छत्तीसगढ़ की आबादी लगभग 26 मिलियन है, जिसमें से तीन-चौथाई से अधिक ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में रहते हैं। छत्तीसगढ़ के सबसे अधिक वंचित लोग इन्हीं दुर्गम इलाकों में रहते हैं।
छत्तीसगढ़ में विविध जातीय, सामाजिक, धार्मिक और भाषाई पृष्ठभूमि वाले लोग रहते हैं। राज्य के एक तिहाई से अधिक निवासी आधिकारिक रूप से अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के हैं। लगभग 31 प्रतिशत 43 से अधिक जनजातियों के हैं, जिनमें विशेष रूप से कमजोर आदिवासी समूह शामिल हैं।
राज्य की लगभग 41 प्रतिशत आबादी 0-18 वर्ष की आयु के बच्चों की है, जिसमें 3.6 मिलियन बच्चों की आयु 0-6 वर्ष है, जो कुल आबादी का 14 प्रतिशत है। छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र के सात जिलों (जिनमें काफी हद तक अस्थिर सामाजिक-राजनीतिक वातावरण है) में 0-6 वर्ष के बच्चों की आबादी 12 प्रतिशत है।
संघर्ष पहले से मौजूद कमजोरियों और असमानताओं को बढ़ाता है, जीवन और आजीविका को खतरे में डालता है।
दूरदराज के इलाकों में आदिवासी समुदायों में रहने वाले बच्चे विशेष रूप से कमजोर हैं।
बच्चों के अधिकारों और कल्याण का विकास
छत्तीसगढ़ राज्य सरकार को सहायता देने के रूप में, यूनिसेफ राज्य सरकार के साथ मिलकर मानव संसाधन को शामिल करके स्वास्थ्य संसाधनों को मजबूत करने का प्रयास करता है। यूनिसेफ सरकारी विभागों, प्रशिक्षण संस्थानों और मेडिकल कॉलेजों के साथ मिलकर प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण और ऑन-साइट सहायता प्रणाली में सुधार करता है।
हमारे काम में कोल्ड चेन पॉइंट्स की जरूरत के अनुसार विस्तार करके कोल्ड चेन और आपूर्ति चेन प्रणाली को मजबूत करना भी शामिल है।
हम स्तनपान प्रथाओं को बेहतर बनाने के लिए माताओं के पूर्ण स्नेह कार्यक्रम के प्रभावी कार्यान्वयन का समर्थन करते हैं। कार्यक्रम माताओं को समुदाय और स्वास्थ्य सुविधाओं दोनों में कुशल परामर्श सहायता प्रदान करने पर केंद्रित है। सही समय पर और उम्र के अनुसार पूरक आहार में विविध और लगातार सुधार के लिए अभिनव सामाजिक और व्यवहार परिवर्तन संचार रणनीतियों को लागू किया जाता है।
यूनिसेफ नागरिक संघर्ष प्रभावित जिलों में स्वास्थ्य सुविधाओं का संचालन सुनिश्चित करने के लिए काम करता है।
छत्तीसगढ़ के दुर्गम इलाकों में स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं तक बेहतर पहुँच के लिए यूनिसेफ मोटर साइकिल एम्बुलेंस के माध्यम से सहायता करता है, जिससे उचित देखभाल प्रदान करने में मदद मिलती है।
हम वास्तविक समय में छात्र और शिक्षक की उपस्थिति को ट्रैक करने के लिए सामुदायिक निगरानी उपकरण जैसे 'हमर स्कूल, हमर लईकामन' जैसे दृष्टिकोणों का उपयोग करते हुए शिक्षा में प्रौद्योगिकी का भी उपयोग करते हैं।
यूनिसेफ नागरिक समाज संगठनों जैसे आरटीई वॉच के साथ उपस्थिति, प्रतिधारण और सीखने के परिणामों में सुधार करने के लिए कार्यरत है। शिक्षण विधियों और सीखने के परिणामों में सुधार करने के लिए शिक्षक शिक्षा संस्थानों को मजबूत करने में राज्य की सहायता की जाती है।
स्वच्छता के क्षेत्र में, यूनिसेफ शौचालय निर्माण की योजना बनाने में पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई) सहित सरकारी कर्मचारियों और सामुदायिक स्तर के कार्यकर्ताओं के क्षमता निर्माण में भी सहायता करता है, जिसमें स्थायित्व सुनिश्चित करना और विविध समुदायों के बीच व्यवहार परिवर्तन को सुविधाजनक बनाना है।
सामाजिक और व्यवहारिक बदलाव लाने के लिए नागरिक समाज संगठनों के साथ मिलकर यूनिसेफ खुले शौच को मंजूरी देने वाले सामाजिक मानदंडों के खिलाफ संचार रणनीतियों में भी बदलाव लाने में सहायता करता है। हम सरकार, पीआरआई, स्थानीय समुदायों और परिवारों के साथ मिलकर काम करते हैं। हम उचित तकनीक का उपयोग कर समुदाय द्वारा प्रबंधित पानी की आपूर्ति प्रणालियों, स्कूलों और स्वास्थ्य सुविधाओं में पानी की व्यवस्था, सफाई और स्वच्छता उपायों में सहायता करते हैं।
परिवार और सामुदायिक देखभाल को बढ़ावा देकर परिवार के बिखराव और संस्थागतकरण को रोकने वाली प्रणालियों को मजबूत करना।
एकीकृत बाल संरक्षण योजना जैसे प्रमुख कार्यक्रमों में सहायता देने और उन्हें सुव्यवस्थित करने में यूनिसेफ राज्य के साथ मिलकर काम करता है। यूनिसेफ सरकार के साथ मिलकर इसके बाल संरक्षण कार्यबल को मजबूत करने का प्रयास करता है। यह प्रयास न्यायपालिका, नागरिक समाज और राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के साथ जुड़कर बेहतर प्रशासन और जवाबदेही पर ध्यान केंद्रित करता है। मुख्य बाल संरक्षण कानून के कार्यान्वयन के लिए सार्वजनिक वित्त तंत्र में सुधार पर जोर दिया जाता है।
बाल विवाह की प्रथा को रोकने के लिए तंत्र को विकसित और मजबूत करने के लिए सरकार को सहायता दी जाती है। बाल संरक्षण कानूनों को लागू करने में पुलिस विभाग की क्षमता का निर्माण करने में यूनिसेफ तकनीकी सहायता प्रदान करता है।
यूनिसेफ सशस्त्र समूहों द्वारा छोटे उम्र के बच्चों की भर्ती और आदिवासी और संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में बाल तस्करी से निपटने के लिए समुदाय-आधारित बाल संरक्षण तंत्र को प्राथमिकता देता है। हम व्यापक स्कूल सुरक्षा कार्यक्रमों पर भी काम करते हैं।
यूनिसेफ स्वास्थ्य, पोषण, उत्तेजना, शिक्षा और संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करके बचपन के विकास के कई क्षेत्रों में काम कर रहा है। महिला और बाल विकास विभाग ने बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा को मजबूत करने के लिए केंद्र आधारित संस्कार अभियान कार्यक्रम शुरू किया है और यूनिसेफ बच्चों की प्रारंभिक देखभाल और शिक्षा में क्षमता निर्माण करके इसे आगे बढ़ाने में सहयोग कर रहा है।