अमिताभ बच्चन
अमिताभ बच्चन भारत के सबसे प्रतिष्ठित अभिनेता हैं, उन्होंने पहली बार 1970 के दशक में सिल्वर स्क्रीन पर शोहरत हासिल की और अब 190 से अधिक फिल्मों में अभिनय करके वह बॉलीवुड के सबसे चहेते चेहरे हैं।
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अमिताभ बच्चन 2002 से युनिसेफ के साथ जुड़े हुए हैं और अप्रैल 2005 में उन्हें युनिसेफ सद्भावना राजदूत के रूप में नियुक्त किया गया। उसी वर्ष, उन्होंने युनिसेफ द्वारा ‘यूनाइट फॉर चिल्ड्रन’ (बच्चों के लिए एकजुटता) एवं ‘यूनाइट अगेंस्ट एड्स’ (एड्स के खिलाफ एकजुटता) जैसे अभियानों के माध्यम से बच्चों के खिलाफ होने वाली यौन हिंसा और एड्स के खतरे के विषय में जागरूकता बढ़ाने के प्रयासों में भागीदारी की। 2014 में श्री बच्चन को बालिकाओं के उज्ज्वल भविष्य के लिए संयुक्त राष्ट्र का राजदूत नियुक्त किया गया।
बीते वर्षों में युनिसेफ के साथ श्री बच्चन की साझेदारी ने उन्हें पोलियो के मास मीडिया अभियानों का चेहरा बना दिया है और वे "दो बूँद ज़िन्दगी की" के नारे से माता-पिता को प्रत्येक टीकाकरण सत्रों में बच्चों को पोलियो वैक्सीन की दो बूंद पिलाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। श्री बच्चन ने आज तक कई पुरुस्कृत टेलीविजन और रेडियो विज्ञापनों में विशेष रूप से इस मुद्दे की गंभीरता एवं महत्व पर जोर दिया है।
इसके अलावा उन्होंने पोलियो की रोकथाम के संदेश के प्रसारण हेतु कई सार्वजनिक कार्यक्रमों और देश के दूरदराज क्षेत्रों का दौरा किया है। न केवल उनके एक मशहूर हस्ती होने के कारण है, बल्कि एक ऐसे मानवतावादी के रूप में श्री बच्चन की विशाल लोकप्रियता, विश्वसनीयता और बड़ी संख्या में प्रशंसकों के कारण जागरूकता बढ़ाने और देश के दूरस्थ भागों में भी माता-पिता को उनके बच्चों के पूर्ण टीकाकरण करवाने के लिए प्रेरित करने में मदद मिली।
युनिसेफ के पोलियो-उन्मूलन कार्यक्रम के साथ अपने संबंध के बारे में बात करते हुए, श्री बच्चन ने कहा, “जब युनिसेफ ने मुझे पोलियो को ख़त्म करने के लिए राजदूत बनने का प्रस्ताव दिया तो मैं आसानी से सहमत हो गया, क्योंकि उन्होंने मुझे पीड़ा से ग्रस्त उन छोटे बच्चों के कष्टों के बारे में बताया था। मुझे एहसास हुआ कि इन बच्चों की सहायता करने के लिए मैं जो कर सकता हूँ वह मुझे करना चाहिए। यह यात्रा आसान नहीं थी, यह लंबी और तनावपूर्ण रही है, लेकिन मुझे खुशी है कि हमने अंत तक मेहनत करते हुए भारत से पोलियो को जड़ से मिटाने में सफलता प्राप्त की।”
उन्होंने कहा, “यह जानना आश्चर्यजनक है कि भारत को पहली बार पोलियो मुक्त हुए तीन साल से अधिक समय हो गया है। मैं गौरान्वित महसूस करता हूँ कि मैं यूनिसेफ, भारत सरकार और इस यात्रा के अन्य सहयोगियों के साथ इस महान प्रयास का एक हिस्सा रहा हूँ।"
श्री बच्चन के पोलियो अभियान में शामिल होने से पहले, भारत कई दशकों तक पोलियो वायरस से सबसे अधिक प्रभावित राष्ट्रों में से एक रहा। यहाँ तक कि 2009 तक भी, भारत में पोलियो के कारण होने वाले लकवा के 741 मामलों के साथ, दुनिया की आधी से अधिक पोलियो घटनाओं का हिस्सेदार रहा है। परन्तु श्री बच्चन की प्रभावशाली आवाज़, यूनिसेफ और अन्य हितधारकों के प्रयासों के कारण भारत कई वर्षों से पोलियो मुक्त है।
“मैं गौरान्वित महसूस करता हूं कि मैं यूनिसेफ, भारत सरकार और इस यात्रा के अन्य सहयोगियों के साथ इस महान प्रयास का एक हिस्सा रहा हूँ।"