सौर ऊर्जा संचालित ,‘टीका संचयन शीत-भंडारण’ ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की प्रगति में योगदान निभाया
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मे सोलर डायरेक्ट ड्राइव की पहल से करोना और नियमित टीकाकरण के लिए काफी मददगार साबित हुआ है

वरदडा राजस्थान: स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए नियमित टीकाकरण का योगदान बहुत महत्वपूर्ण है । बच्चों और माताओं में होने वाली कई घातक बीमारियों को रोकने के लिए टीकाकरण सबसे प्रभावशाली रोकथाम है| ये उन्हें कई बैक्टीरिया और वायरस से लड़ने की शक्ति भी प्रदान करता है ।
राजस्थान के दूरस्थ छेत्र राजसमंद जिले के कुम्भलगढ़ तहसील मे “वरदडा” पहाड़ो के बीच मे बसा एक छोटा सा गाँव हैं | यह जिला मुख्यालय राजसमंद से 42 किलोमीटर दूर स्थित है | यहाँ की आबादी मे मूलतः आदिवासी समुदाय हैं, जिसमे गमती, खरवाड़ा और देसाना जनजाति के लोग रहते हैं।
नियमित समय पर टीकाकरण यहां के लोगों के लिए एक समस्या थी । इसका मुख्य कारण प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर टीकाकरण की सुविधा के लिए पर्याप्त बुनियादी सुविधा का उपलब्ध नही होना, जैसे की टीके को अच्छी तरह से संरक्षित करने ले लिए कोल्ड चेन सुविधाओं की कमी और बिजली की कटौती के दौरान टीकों को सुरक्षित रखना | एक कठिन चुनौती थी।
यहाँ के लोगों को नियमित टीकाकरण के लिए जिला स्वास्थ्य केंद्र पर निर्भरता बनी रहती थी जिससे अधिकतर लोग समय पर टीकाकरण से वंचित रह जाते थे | इस समुदाय के लोगो मे शिक्षा के अभाव के कारण स्वास्थ्य लाभकारी टीकाकरण प्रति जागरूकता की कमी थी | एएनएम ,आशा जैसे स्वास्थकर्मी को पहले टीके को जिला स्वास्थ्य केंद्र से लाने मे काफ़ी समय लग जाता था परन्तु अब सोलर डायरेक्ट ड्राइव के अंतर्गत सौर ऊर्जा से संचालित टीकाकरण संचयन शीत-भंडारण (कोल्ड चेन) उपकरण की सुविधा के आने से जो टीके को क्षतिग्रस्त होने से बचाता है | इस सुविधा के मिलने से आज यहाँ की प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र “वरदडा” में टीकाकरण अभियान पहले से आसान हो गया है।
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मे सोलर डायरेक्ट ड्राइव की पहल से करोना और नियमित टीकाकरण के लिए काफी मददगार साबित हुआ है। इस पहाड़ी क्षेत्रों में मूलतःआदिवासी समुदाय के लोग अस्थायी घर बनाकर रखते हैं और पलायन करते रहते हैं | अस्थायी और बहुत विविध इलाकों मे इनके घर दूर दूर तक फैले होते हैं, इसलिए उचित टीकाकरण का समय पर होना बहुत मुश्किल होता था।

"पुष्पा कुंवर खोहर" टीकाकरण की लाभार्थी मूल रूप से वरदादा की रहने वाली है, लेकिन कुछ साल से वह रोजगार की तलाश में राजस्थान से पलायन कर अब गुजरात के संतरामपुर में रहती है। परन्तु कुछ दिन पहले वो अपने घर वरदडा आयी थी ,अपनी 12 महीने की बेटी इशिता का समय पर नियमित टीकाकरण समय पर सुनिश्चित करने के लिए और वो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, वरदडा में टीकाकरण की उपलब्धता पर खुश हैं, क्योंकी पहले टीका लगवाने के लिए उन्हें लंबी दूरी तय करनी पड़ती थी |
इस मदद के लिए वो सबका धन्यवाद करना चाहती हैं | यहाँ की पीएचसी में बिजली की आपूर्ति केवल 4-5 घंटे होने के कारण टीकाकरण को कोल्ड चेन सिस्टम में संरक्षित करना मुश्किल होता था, जिससे समय पर टीकाकरण के लक्ष्य को प्राप्त करना मुश्किल होता था | आज कोल्ड चेन सिस्टम जैसी बुनियादी संरंचना की उपलब्धता के कारण यहाँ टीकाकरण पहले से अधिक सुलभ हुआ है। परिणामस्वरूप प्रतिदिन लगभग 200 बच्चों और गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण आसानी से संभव हो जाता हैं।
जापान सरकार ने नियमित टीकाकरण और COVID-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई में भारत का समर्थन कर 9.3 मिलियन अमेरिकी डॉलर की सहायता की घोषणा जुलाई 2021 मे किया था। इस अनुदान का उद्देश्य भारत को शीत भंडारण सुविधाओं के साथ शीत श्रृंखला उपकरण (सीसीई) प्रदान करना, शीत श्रृंखला उपकरण खरीदना और यह सुनिश्चित कर संस्थागत क्षमता को मजबूत करना है और हर टीके समय पर सभी वर्गों तक पहुंचें। यह सहायता जन जन तक यूनिसेफ के माध्यम से प्रदान की जाती है।
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में सोलर डायरेक्ट ड्राइव उपकरण सौर ऊर्जा से संचालित टीकाकरण संचयन शीत-भंडारण स्थापित होने के परिणामस्वरूप, नियमित टीकाकरण के साथ-साथ COVID-19 टीके भी चौबीसों घंटे उपलब्ध होने के कारण ग्रामीण क्षेत्र में एक बहुत बड़ा बदलाव देखा गया है | लोगों की स्वास्थ्य संबंधित मांगों को पूरा करने के लिए, राज्य के सुदूर पिछड़े क्षेत्रों मे जलवायु जोखिम और प्राकृतिक आपदाओं के बावजूद, सौर ऊर्जा के कई लाभ हैं। विशेष रूप से टीकाकरण, मातृ देखभाल, सेवा, निदान और निगरानी के सुचारू रूप से निष्पादन के लिए स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने की दिशा मे महत्वपूर्ण एवं सराहनीय कदम है।