विश्व बाल दिवस पर जलवायु योद्धाओं ने संयुक्त राष्ट्र (यू एन) की बैठक की ज़िम्मेदारी संभाली |
"हमने मास्क पहन रखा है लेकिन हम खामोश नहीं हैं |" विश्व बाल दिवस 2020 पर दुनिया भर के बच्चे अपने अधिकारों और कोविड - 19 के बाद की दुनिया की पुनर्कल्पना पर अपनी बात रख रहे हैं | भारत में संयुक्त राष्ट्र (यू एन) इसे सुन रहा है|

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भारत में, विश्व बाल दिवस के अवसर पर छोटे-छोटे जलवायु योद्धाओं के एक समूह ने संयुक्त राष्ट्र (यू एन) की वर्चुअल प्रबंधन बैठक की ज़िम्मेदारी ली जिससे वे जलवायु परिवर्तन सम्बन्धी अपनी मांगों को उठा सकें | बच्चों ने अपनी आवाज़ को और असरदार बनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र (यू एन) का सहयोग माँगा तथा बेहतर और स्वच्छ भविष्य हेतु सकारात्मक पर्यावरण नीतियों और कार्रवाई के लिए एजेंसियों को चुनौती दी |
प्रत्येक दिन एक बाल-अधिकार दिवस है | हम वोटर भले न हों, लेकिन हमें लगता है कि हमारी आवाज़ वयस्कों से अधिक प्रभावशाली है |
सत्र के दौरान, बाल- समर्थकों ने पर्यावरण के क्षरण के प्रभावों से निबटने के अपने अनुभवों को साझा किया | त्रिपुरा के 16 वर्षीय बिनोद देब बर्मा ने प्रतीक भाषा (साइन लैंग्वेज) के माध्यम से स्कूल में आये भूकंप का भयावह अनुभव साझा किया |
सभी स्कूलों में आपदा प्रबंधन के लिए एक आपातकालीन योजना होनी चाहिए और प्रत्येक कक्षाओं में इमरजेंसी लाइट और साईरन की आवश्यकता पर ज़ोर देते हुए उन्होंने कहा, "चूँकि हम बोल या सुन नहीं सकते और हमारे कुछ साथी व्हीलचेयर का इस्तेमाल करते हैं, हममें पूरी तरह अफरा-तफरी मच गई और छोटे बच्चे रोने लगे | मुझे लगता है कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि हमारा स्कूल इसके लिए तैयार नहीं था |”

तमिल नाडु के कोटागिरी की बारह वर्षीय एल वाई तमिल तुलसी को जलवायु परिवर्तन के कारण अपना घर बदलना पड़ा |
उसने कहा, "मेरा घर भारी बारिश और भू-क्षरण के कारण नष्ट हो गया | उसके बाद हमें एक छोटे से किराये के घर में रहना पड़ा | अब मेरी माँ कुली का काम करके दो बच्चों के परिवार को चला रही है और मेरे बीमार दादा जी की सेवा भी करती है | " मैं वनीकरण के प्रयासों को प्राथमिकता दिए जाने और उसके लिए फंडिंग प्रदान करने की मांग करती हूँ |"
बैठक में सबसे छोटे जलवायु योद्धा दिल्ली के दस वर्षीय रवि ने बताया कि किस प्रकार राजधानी में सांस लेना मुश्किल हो गया है | उसने बताया कि गाड़ियों की ट्रैफिक में वृद्धि और निर्माण कार्य के लिए पेड़ों के काटे जाने से, लॉकडाउन में छूट के बाद स्थिति और ख़राब हो गई है |
भारत में संयुक्त राष्ट्र (यू एन) की रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर रेनाटा डेस्सल्लिएन ने जलवायु योद्धाओं द्वारा किये जा रहे कार्यों की सराहना की | उन्होंने संयुक्त राष्ट्र (यू एन) द्वारा जलवायु कार्रवाई के समर्थन में चलाई जा रही परियोजनाओं की चर्चा की | उदहारण के लिए यू एन ई पी भारतीय रेलवे के साथ मिलकर उसकी रेलगाड़ियों को विद्युत प्रणाली में परिवर्तित कर रहा है | यू एन डी पी की एक परियोजना के माध्यम से कूड़ा उठाने वालों को अधिक सम्मानजनक ढंग से और अधिक दक्षता से काम करने में मदद की जा रही | केरल की बाढ़ के बाद, संयुक्त राष्ट्र (यू एन) एजेंसियों ने दक्षिण के राज्यों में भविष्य में बाढ़-रोधी मकानों के निर्माण में मदद की | यूनिसेफ जलवायु कारवाई पर काम करने वाले बच्चों और नीति निर्माताओं को जोड़ने का प्रयास कर रहा है |
यू एन डी पी इंडिया की रेजिडेंट रेप्रेसेंटेटिव शोको नोदा ने स्वीकार किया कि आज की युवा पीढ़ी के समक्ष जलवायु परिवर्तन के कारण नई चुनौतियाँ हैं लेकिन उन्होंने उम्मीद व्यक्त की कि अपने जोश और जूनून से वे इस मुद्दे का हल निकल लेंगे |
उन्होंने सलाह दिया, “भारत में 35.6 करोड़ युवा हैं | और ये अपने आप में देश का बड़ा संसाधन है | और जब आप एक साथ आ रहे हैं, मुझे उम्मीद है कि आप अपनी मांगों के प्रति दृढ और प्रेरित रहेंगे |”
यू एन ई पी के भारत के राष्ट्रीय प्रमुख अतुल बगाई ने बताया कि किस तरह बच्चों से बात कर के उन्हें निराशा और आशा दोनों का अहसास हुआ |
उन्होंने कहा, “जब हम छोटे थे तो हमें इन चुनौतियों का सामना नहीं करना पड़ा क्योंकि उस समय ये नहीं थीं | छोटे बच्चों को, जिन्हें एक सुन्दर समुद्री तट का आनंद लेना चाहिए या स्वच्छ हवा में खेल खेलना चाहिए, उन्हें ये सब नहीं मिल रहा जिसके जिमेदार पिछली पीढ़ी के पिछले पचास वर्षों में किये गए कार्य हैं | मैं, हम लोगों द्वारा किये गए गलत कामों के लिए हमेशा बच्चों से माफ़ी मांगता हूँ |”
बच्चों के विचार सुन कर उन्होंने कहा, “इससे हमें ये सबक मिलता है कि हर किसी को खुद को एवं अपने पर्यावरण को बदलने के लिए स्वयं ज़िम्मेदारी लेना होगा |”
दुनिया भर के बच्चों ने सी एस ओ नेटवर्क नाइन इज़ माइन के सहयोग से जलवायु कार्रवाई पर मांग पत्र तैयार किया जो भारत के माननीय उप-राष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू, माननीय मंत्री महिला एवं बाल विकास श्रीमती स्मृति ईरानी और कई अन्य सांसदों को प्रस्तुत किया जाएगा |
यूनिसेफ इंडिया की राष्ट्रीय प्रतिनिधि डॉ. यास्मीन अली हक़ ने बाल अधिकारों के प्रति यूनिसेफ के संकल्प और अपने सहयोग को दोहराया |
यद्यपि हम जानते हैं कि बच्चे जलवायु परिवर्तन के लिए सबसे कम ज़िम्मेदार हैं लेकिन इसके कुप्रभाव के सबसे बड़े शिकार वे ही हैं | यद्यपि जलवायु परिवर्तन स्पष्ट रूप से बाल-अधिकार सम्मेलन में शामिल नहीं है, अनुच्छेद 12 बच्चों को ये अधिकार देता है कि वे उन मुद्दों में शामिल हो सकें जो उन्हें प्रभावित करते हैं | आज आप अपने उस अधिकार का प्रयोग कर रहे हैं | हम इस बात से उत्साहित हैं कि बच्चे जलवायु सम्बंधित जोखिमों को सम्बंधित करने में अपनी भूमिका निभा रहे हैं |
डॉ. यास्मीन ने बच्चों से उनको प्रभावित करने वाले मुद्दों पर अपने विचार रखने और उनमें भाग लेना जारी रखने की अपील की | उन्होंने कहा, “मैं इस चर्चा और वार्ता जारी रहने और आप के द्वारा हमें अपना काम करने की चुनौती देते रहने की उम्मीद करती हूँ |”