फोटाे निबंध: आखा आशा की नाव
असम में, बोट क्लीनिक पर सोलर डायरेक्ट-ड्राइव रेफ्रिजरेशन इकाइयों से टीकाकरण सेवाओं में आई क्रांति, हर माह 20 हजार लोगों तक पहुंच रही चिकित्सा देखभाल
- English
- हिंदी
असम में कठिन नदियों और द्वीपों को पार करके हशिए पर खड़े लोगों तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने में बोट क्लिनिक का अहम रोल है। सरल सोलर डायरेक्टर-ड्राइव रेफ्रिजरेशन (SD-DR) इकाइयों ने निरूपमा जैसे स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए टीकाकरण सेवाओं को बेहतर किया है।
आज 9 महीने की नूर खातून को खसरा और रूबेला (MR) और जापानी एन्सेफलाइटिस (JE) से बचाव का टीका लगाया जाएगा। उसे विटामिन ए की खुराक भी दी जाएगी नूर की 25 वर्षीय मां मुनावरा खातून उत्तर-पूर्व भारत के राज्य बोंगाईगांव जिले में बसे अपने गांव के स्वास्थ्य केंद्र पर बोट क्लिनिक के आने का इंतजार कर रही है।
मुनावरा खातून पिछली बार की बोट क्लिनिक की विजिट की बजाय इस साल जून में आने वाली बोट के लिए निश्चिंत हैं, क्योंकि पिछली बार गांव में आई बाढ़ से उनका घर और गांव डूब गये थे।
बोट क्लिनिक पर 41 वर्षीय निरुपमा रॉय एक अनुभवी नर्स और दाई हैं। वह एक दश्क से भी ज्यादा समय से बोट क्लिनिक पर अपनी सेवाएं दे रही हैं। पानी की लहरों पर चल रही बोट क्लिनिक में सुबह की उथल-पुथल के बीच निरूपमा और उसके सहयोगी शांति से काम कर रहे हैं। वह रजिस्टर अपडेट करने से लेकर कॉल्ड चेन के टीकों को संभाल रहे हैं और खोरचीमारी द्वीप पर नूर के गांव में पहुंचने की तैयारी कर रहे हैं। नूर के गांव में अस्थायी रूप से संचालित होने वाली बोट क्लिनिक को चार्स या सपोरिसस के नाम से जाना जाता है।
बोट क्लिनिक एक तरह से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) का काम करता है। इसमें लैब, ओपीडी, फार्मेसी और कॉल्ड चेन पाइंट जैसी सभी बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हैं। बोट क्लिनिक में पैरामेडिकल स्टाफ में दो सहायक नर्से (ANM), एक फार्मासिस्ट, लैब टेक्निशियन, सामुदायिक कार्यकर्ता और सहायक कर्मचारी मौजूद रहते हैं।
आशा की नाव
बोंगाईगांव जिले के इन नदियों पर बसे द्वीपों को ब्रहमपुत्र नदी का तेज बहाव हर बार एक नई जगह ले जाकर विस्थापित कर देता है। एक द्वीप जो कभी एक हराभरा गांव होता था, पशुओं और हरियाली से भरपूर गांव मौसम की तेज बारिश के साथ रातोंरात नष्ट हो जाता है। ऐसे में गांव में रहने वाले निवासियों को विस्थापन का खतरा तो रहता ही है और साथ ही पूरे द्वीप के गायब होने का संकट भी रहता है।
बोट क्लिनिक नूर की मां जैसे हजारों लोगों के लिए आशा की किरण है। इन द्वीपों पर लगातार बाढ़, जमीनी कटाव अस्थायी आवास और विस्थापन के कारण बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं का निर्माण और रख-रखाव करना असंभव है।
यहां कनेक्टिविटी देसी नावों तक ही सीमित है। यहां रहने वाली अधिकांश आबादी गरीब है। इन गांवों में गर्भवती महिलाओं, माओं और नवजात शिशुओं की देखभाल सेवाओं का अभाव है, नतीजन यहां रुग्णता और मृत्यू दर लगातार बढ़ रही है।
वर्ष 2004 में एक स्थानीय गैर सरकारी संगठन सेंटर फॉर नॉर्थईस्ट स्टडीज एंड पॉलिसी (C-NES) ने क्षेत्र में चिकित्सा सुविधाओं के लिए बोट क्लिनिक को लॉच किया। सी-एनईएस की इस पहल का यूनिसेफ ने सहयोग करते हुए स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की क्षमता निर्माण का समर्थन किया। सी-एनईएस में संजय हजारिका ने नेतृत्व ने उनकी टीम ने अखा- ‘ए शिप ऑफ होप इन ए वैली ऑफ फ्लड’ के डिजाइन और इसे बनाने के लिए चौबीसों घंटे लगातार काम किया।
बोट क्लिनिक ने पिछले 20 वर्षों में 14 जिलों में करीब 2,500 लोगों को आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराई हैं, इसमें बोंगाईगांव जिला भी शामिल है। यहां नूर का परिवार रहता है। आज यहां नदी किनारे करीब 15 बोट क्लिनिक संचालित होते हैं, जो हर महीने लगभग 18 हजार से 20 हजार लोगों का इलाज करते हैं।
धैर्य, दृढ़ संकल्प और प्रतिबद्धता बनी रोजमर्रा की कहानी
तेज बहाव वाली ब्रह्मपुत्र नदी में डेढ़ घंटे की नौकायन के बाद कम धाराओं ने बोट क्लिनिक को कई बार रोका। आखिरकार बोट क्लिनिक खोरचिमारी चार के तट पर पहुंचा। हालांकि आज का दिन स्वास्थ्य कर्मियों के सामने आने वाली रोजाना की चुनौतियों से कोई अलग नहीं है। उन्हें चिलचिलाती धूप, दमघोटूं उमस के बीच पैदल चलकर डेढ़ किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती है। वे अपनी स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए दवाएं, चिकित्सा उपकरण और अन्य भारी आपूर्ति भी लेकर जाते हैं।
“दस साल पहले तक यहां के लोगों को अस्वस्थ होने पर अस्पताल तक पहुंचने के लिए कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। यदि कोई बच्चा बीमार पड़ गया तो रात में उसके लिए कहीं दवाई नहीं मिलती थी। और गर्भवती महिलाओं को शायद ही कभी स्वास्थ्य जांच मिली हो। निरुपमा ने बताया कि अब यह स्थानीय निवासी हम पर भरोसा करते हैं। हमें संतुष्टि है कि ये अपने स्वास्थ्य के लिए हम पर निर्भर रहते हैं और जब हम जल्दी पहुंचते हैं तो इन्हें हमें देखकर राहत मिलती है।”
निरुपमा को समुदाय के अधिकांश लोग नाम से जानते हैं। वह मुनावरा खातून और नूर से मिलकर उनके स्वास्थ्य और नूर के टीकाकरण शेड्यूल की जानकारी लेती हैं। मुनावरा अपनी पिछली दो गर्भावस्थाओं के दौरान और अब नूर के टीकाकरण के लिए बोट क्लिनिक का दौरा कर रही है। नूर को खसरा-रूबेला (MR) और जापानी एन्सेफलाइटिस (JE) के टीके, विटामिन ए अनुपूरक और बोट क्लिनिक से बहुत सारा प्यार मिलता है।
मुनवारा खातून बताती हैं कि “मेरे सभी बच्चों के जन्म के दौरान जब भी मैं अस्वस्थ थी, मुझे बोट क्लिनिक से आवश्यक टीकाकरण और चिकित्सा देखभाल मिली। डॉक्टर और एएनएम दीदी (बहन) बहुत अच्छे हैं, और मेरे तीनों बच्चों को बोट क्लिनिक में टीकाकरण और उपचार मिला है।”
गेम चेंजर बनी सोलर डायरेक्ट ड्राइव (SSD)
निरुपमा इनोवेटिव सोलर डारयेक्ट-ड्राइव (SSD) रेफ्रिजरेशन इकाइयों के लिए यूनिसेफ का आभार जताते हुए बताया कि इन एसडीडी ने असम में चूनौतीपूर्ण जगहों पर जाना भी आसान कर दिया है। अब स्वास्थ्य सेवाओं के लिए पहले से कहीं अधिक लोगों तक पहुंचना आसान हो गया है।
इससे पहले स्वास्थ्य कर्मियों को हर दौरे पर बोट क्लिनिक के लिए टीके लेने के लिए जिला स्वास्थ्य सुविधाओं की यात्रा करनी पड़ती थी। बोट क्लिनिक में काम शुरू करने से पहले इस पहल में बहुत प्रयास और समय लगा। सौर ऊर्जा से चलने वाले रेफ्रिजरेटर (एसडीडी) कोल्ड चेन, टीकों के भंडारण के लिए एक तापमान-नियंत्रित प्रणाली नाव में लेकर आते हैं।
यूनिसेफ के आपूर्ति एवं खरीद प्रमुख डेविड किआम्बी मुटुएरंडू ने बताया कि, “SDD ने कोल्ड चेन के जरिए हमें स्थानीय लोगों के करीब ला दिया। अब SSD के साथ बोट क्लिनिक सुरक्षित रूप से टीकों को जहाज पर स्टोर कर सकते हैं, जिससे स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए समय की बचत होती है। पहले हर बार यात्रा से पहले चार घंटे तक टीकों के परिवहन में खर्च होता था।”
यूनिसेफ 1949 से 75 वर्षों से भारत सरकार और उसके सहयोगियों के साथ काम कर रहा है, बच्चों, महिलाओं और समुदायों, विशेष रूप से दुर्गम और दुर्गम क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को बुनियादी स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रहा है।
निरुपमा कहती हैं कि, "कोल्ड चेन पॉइंट के साथ, हम अधिक द्वीपों को कवर करते हैं और लोगों की देखभाल में अधिक समय बिता सकते हैं। इससे मुझे भी बहुत मदद मिली है - अब मैं समय पर घर पहुंचती हूं और अपनी बेटियों के साथ समय बिता पाती हूं।"
यह जानकर संतुष्टि महसूस होती है कि हम अपने कर्तव्यों को पूरा कर पा रहे हैं। और इससे कई लोगों के जीवन में बदलाव आया है। कल सुबह जल्दी उठकर बोट क्लिनिक पर एक नई जर्नी की शुरूआत होगी, जो हमें अगले द्वीप तक लेकर जाएगी।