नए पाठ्यक्रम से बच्चों को आवश्यक बेहतर प्रारंभिक शिक्षा मिलती है

आरंभिक शिक्षा की तरफ एक समग्र दृष्टिकोणसे अधिक से अधिक बच्चे आंगनवाड़ी केंद्रों में आ रहे हैं और उनके जीवनमें एकशुरुआतीबढ़त मिल रही है।

अज़रा परवीन रहमान
There, in the middle of the room, stood the class-entertainer, five-year-old Jhonson, who regales his friends sitting on the sidelines with impromptu dance moves.
UNICEF India/Vishwanathan
19 जुलाई 2019

पांच वर्षीय जॉनसन कमरे के बीचों बीच खड़ा होकर एक तरफ बैठे दोस्तों को तरह-तरह के नृत्य दिखा कर हंसा रहा था। उसके कहने पर, बच्चों ने फर्श पर चॉक से ड्राइंग शुरू कर दी। जॉनसन एक दिव्यांग बच्चा है। उसकी माँ और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ने बताया कि दो साल पहले केंद्र में आने के बाद से वह एक आत्मविश्वासी बच्चे के रूप में उभर रहा है ।

जॉनसन की माँ विनीता देवी ने स्वीकार किया, "मैं शुरू में उसे आंगनवाड़ी केंद्र भेजने में हिचकिचाती थी।" अपनी दिव्यांगता के कारण भीड़ में भी घूरे जाने वाले बच्चे को अक्सर दूसरेमाता-पिता अपने बच्चों के साथखेलने नहीं देते थे। विनीता का डर था  कि आंगनवाड़ी केंद्र में भी ऐसी ही स्थिती दोहराई जाएगी।

Vinita Devi with her son Johnson.
UNICEF India/Vishwanathan

फिर भी, यह विचारों की कशमकश थी। विनीता देवी के तीन अन्य बच्चे पहले से इसी केंद्र में आए थे और अब एक औपचारिक स्कूल में पढ रहे हैं। और तो और विनीता आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सुनैना देवी को अच्छी तरह से जानती थी। माँ(विनीता देवी) ने बताया, “इसलिए पहले दो-तीन महीनों के लिए जॉनसन के साथ मैं केंद्र में गई।शुरु में जब वहआंगनवाड़ी केंद्र में आया तो रोया करता था। लेकिन धीरे-धीरे वह बदल गया। उसने दूसरे बच्चों के साथ बातचीत करना और शिक्षक ने जो गतिविधियाँ सिखाईं, उन्हें खेलना और उनमें भाग लेना शुरू किया।”

जैसा कि जॉनसन के मामले में देखा गया है, आंगनवाड़ी केंद्रों में शुरू किए गए प्रारंभिक बाल्यावस्था देखरेख तथा शिक्षा (ईसीसीई) पाठ्यक्रम में समावेश और समग्र विकास के आवश्यक अंग है। यूनिसेफ की मदद से विकसित और आईकेईए फाउंडेशन द्वारा समर्थित नया पाठ्यक्रम पहले की अपेक्षा काफी बेहतर प्रयास है।

Vinita Devi with her son Johnson.
UNICEF India/Vishwanathan

एकीकृत बाल विकास सेवा (आई सी डी एस), बिहार के तहत ईसीसीई प्रभारी श्वेता सहाय ने बताया,"यह तथ्य वैज्ञानिक रूप से सिद्ध हो चुका है कि बच्चे के मस्तिक का 90 प्रतिशत विकास छह साल की उम्र तक हो जाता है।"इस अवधि के महत्व को देखते हुए तथायह ध्यान में रखते हुए कि भारत मेंइस आयु वर्ग में 15करोड़ बच्चे हैं, सरकार ने 2013 में प्रारंभिक बाल्यावस्था देखरेख तथा शिक्षा पर एक नीति बनाईथी ।

रिंकू देवी, जिसकी 5 साल की बेटी उसके पास ही बैठी थी, ने बताया,"मेरी बड़ी बेटी 12 साल की है, और जब वह इस आंगनवाड़ी केंद्र में आती थी, तब कमरा खाली नजर आता था। वह यहाँ आती, कुछ गाने गाती, दोपहर का भोजन करती और घर चली जाती। लेकिन अब मैं देखती हूं कि बच्चों के पास करने के लिए बहुत कुछ है - उनके पास किताबें, खिलौने हैंऔर बहुत सारे क्रियाकलाप हैं।” उसने बताया कि “अनुप्रिया दूसरों की तुलना में पीछे है क्योंकि वह देख नहीं सकती, लेकिन वह बहुत कुछ सीख रही है। वह दूसरों के साथ गाने गाती है और कहानियां सुनती है। एक मां के रूप में, मैं खुश हूं।”

Johnson in his classroom.
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सुनैना देवी, जो उसी आंगनवाड़ी केंद्र में कार्यरत हैं जहां जॉनसन और अनुप्रिया जाते हैं, ने भी माता-पिता को उनके बच्चों को केंद्र में भेजने के लिए प्रेरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ऐनक लगाए, विनम्र स्वभाव वाली वाली सुनैना देवी, पिछले तीन दशकों से एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के रूप में काम कर रही हैं।वह मुस्कुराई और बताया,यहाँ आने वाले माता-पिता में से कुछ ऐसे माता-पिता भी है जिनकी देखरेख मैंने की है, जब वे छोटे थे। अब उनके बच्चे केंद्र में आते हैं।"

शेरघाटी ब्लॉक के एक अलग केंद्र में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता कलावती देवी ने उनकी बात पर सहमति जताई। कलावती ने बताया किशुरूआत मेंईसीसीई पाठ्यक्रम पर आधारित आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का चार दिवसीय प्रशिक्षण अपने आप में एक अनूठा अनुभव था। “प्रशिक्षण में, हमें अपनी सारी झिझक दूर करनी थी और खुद बच्चे की तरह व्यवहार करना था। इसलिए हम बच्चों की तरह बैठे, स्वास्थ्य के लिए अपने नाखूनों की जाँच की, और सभी तरह की गतिविधियाँ की जैसे झूलती रस्सियों पर कूदना, पेंटिंग करना, टेढ़ी-मेढ़ी लाइनों पर चलना और मिट्टी के खिलौने बनाना। इन्ही कार्यकलापों को हमेंबाद में केंद्र में करवाना था।” वह कहती हैं, "चार दिनों के लिए, हम बच्चे बन गएथे।”

Children reading a book in class.
UNICEF India/Vishwanathan

आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ने बताया किइससे उन्हें प्रत्येक कार्य के पीछे आधारित तर्क को समझने में मदद मिली। कंकड़ों के साथ खेलने से शारीरिक कौशल विकसित करने में मदद मिलती है, पहेलियाँ सुलझाने से संज्ञानात्मक और समस्या को सुलझाने के कौशल को विकसित करने में मदद मिलती है। पाठ्यक्रम विषय आधारित है जोकि संबंधित कार्यकलापों के साथ जुड़ा हुआ है। उदाहरण के लिए, एक विषय मानव शरीर पर आधारित है। बच्चे शरीर के अंगों की पहचान करना सीख रहे थे और इस विषय पर कविता पढ़ रहे थे। 

A mother and daughter.
UNICEF India/Vishwanathan

बिहार में आईसीडीएस के निदेशक, राम शंकर प्रसाद दफ्तुआर ने कहा,"हमने12 विषयों में सेतीनविषयों को पाठ्यक्रम में लिया है; इन विषयों पर पुस्तिकाएं बाँट दी गई हैं, और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया गया है।अब हम चार अन्य विषयों पर काम कर रहे हैं।"

दोनों आंगनवाड़ी केंद्रों में, कार्यकर्ताओं ने उपस्थिति में वृद्धि पर टिप्पणी की जो उन्होंने देखी थी।मिसाल के तौर पर जॉनसन अब हर सुबह केंद्र में जाता है।"मैं अब अन्य माताओं को अपने बच्चों को आंगनवाड़ी केंद्र में भेजने के लिए भी कहती हूँ," उसकी माँ ने मुसकराते हुए कहा।