युनीसेफ ने COVID-19 प्रतिक्रिया के तहत प्रारंभिक बाल्यावस्था के विकास में निवेश को प्राथमिकता देने का आह्वान किया
यदि COVID-19 प्रतिक्रियाओं में प्रारंभिक बाल्यावस्था के विकास को प्राथमिकता नहीं दी जाएगी, तो छोटे बच्चों को असमान जोखिम और अपूरणीय क्षति का सामना करना पड़ेगा
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नई दिल्ली, 02 जून 2020– जैसे की दुनिया COVID-19 महामारी के बीच, वैश्विक माता-पिता दिवस (Global Day of Parents) (1 जून) मना रही है, यूनीसेफ ने COVID-19 प्रतिक्रिया के तहत परवरिश पर ध्यान देने सहित प्रारंभिक बाल्यावस्था विकास (ECD) में निवेश को प्राथमिकता देने की तत्काल आवश्यकता को दोहराया। यह निरोध्य बाल मृत्यु को कम करने, बच्चों के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए और लंबी अवधि में आर्थिक सुधार और उत्पादकता बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है।
संकट के समय में, छोटे बच्चों का समर्थन करने वाली सेवाओं को अक्सर प्राथमिकता नहीं दी जाती है और अंत में अनदेखी की जाती है, जो छोटे बच्चों को असमान रूप से प्रभावित करता है। संभवतः पहले से ही दुर्लभ संसाधनों को महामारी की प्रतिक्रिया के लिए मोड़ दिया जाएगा। सरकारों के साथ-साथ, परिवारों और समुदायों को भी बच्चों के लिए पोषण और सुरक्षात्मक वातावरण के निर्माण में अपनी भूमिका और महत्व को समझना होगा।
आज, यूनीसेफ की अगुआई में किए गए प्रारंभिक अध्ययन "पेरेंटिंग मैटर्स" के प्रमुख परिणाम : पेरेंटिंग दृष्टिकोण और अभ्यास की जांच, ज्ञान का आकलन, पेरेंटिंग पर माता-पिता, परिवार और सेवा प्रदाता का व्यवहार तथा अभ्यास, जारी किए गए। कुछ सुस्पष्ट हैं और तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता की ओर इशारा करते हैं - विशेष रूप बच्चों को जिस तरह की हिंसा का सामना करना पड़ रहा है।
- शारीरिक और मौखिक दुर्व्यवहार के कम से कम 30 विभिन्न रूपों को अनुशासनात्मक प्रयासों के हिस्से के रूप में सूचित किया गया है।
- सजा लड़कों और लड़कियों दोनों के लिए परिवारों, स्कूलों में और सामुदायिक स्तर पर लड़कियों और लड़कों दोनों के लिए बच्चों को अनुशासित करने के लिए एक व्यापक रूप से स्वीकृत तरीका है।
- लड़कियों और लड़कों को बहुत ही कम उम्र से बहुत अलग तरीके से पाला जाता है - घर के कामों के बोझ के साथ, दिन पर दिन का प्रतिबंध, पिता द्वारा लड़कियों पर अधिक लगाया जाना
- माता बच्चों के लिए मुख्य देखभालकर्ता होती हैं जबकि पिता बहुत कम शामिल होते हैं
- जबकि पुरुष देखभालकर्ता बच्चों को बाहर ले जाते हैं और माताएं कहानी सुनाने और गायन के माध्यम से घर के अंदर प्रोत्साहित करने में अधिक शामिल रहती हैं
इस अध्ययन में घरों में बच्चों के खिलाफ हिंसा के विभिन्न तरीकों को बताया गया है - शारीरिक हिंसा (जलाना; चिकोटी काटना; थप्पड़ मारना; छड़ी, बेल्ट, छड़ जैसे औजार से मारना) मौखिक दुर्व्यवहार (दोषारोपण, आलोचना करना; चिल्लाना; गंदे शब्दों का उपयोग ); शारीरिक हिंसा का गवाह होना (एक माता-पिता के प्रति, भाई-बहनों के प्रति, परिवार के बाहर) और भावनात्मक दुर्व्यवहार (आवाजाही पर प्रतिबंध; भोजन से इनकार; भेदभाव; डर पैदा करना)।
भारत में यूनीसेफ की प्रतिनिधि डॉ. यास्मीन अली हक ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, “इबोला संकट के हमारे अनुभव बताते हैं कि छोटे बच्चों के साथ हिंसा, दुर्व्यवहार और उपेक्षा होने की संभावना अधिक होती है क्योंकि परिवार जिंदगी से संघर्ष करने में व्यस्त रहते हैं, जिसका उन पर आजन्म प्रभाव पड़ सकता है। बच्चों के दोनों तरह के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रोत्साहित करने के लिए सकारात्मक पेरेंटिंग अभ्यासों पर जागरूकता अब पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक है।“
CHILDLINE 1098, जिसे महिला और बाल विकास मंत्री द्वारा आपातकालीन सेवा घोषित किया गया है, ने बताया है कि अप्रैल में दो सप्ताह के लॉकडाउन के दौरान, परेशान बच्चों के द्वारा की गई कॉलों की संख्या में 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। लॉकडाउन में आवाजाही पर प्रतिबंध और प्रीस्कूल और स्कूलों को बंद करने से अपने बच्चों के सर्वाइवल, देखभाल और शिक्षा के लिए माता-पिता पर तत्काल दबाव बना है।
जब कोई बच्चा वयस्क के बिना शारीरिक या भावनात्मक शोषण, उपेक्षा, हिंसा के संपर्क में आता है, या आर्थिक तंगी का बोझ महसूस करता है, तो यह उनके तनाव की प्रतिक्रिया को सक्रिय करता है। लंबे समय तक तनाव व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर स्थायी प्रभाव डाल सकता है - जीवन भर के लिए। अनुसंधान बताता है कि जीवन में जल्द से जल्द देखभाल करने वाले वयस्कों के साथ सहायक, उत्तरदायी रिश्ते विषाक्त तनाव प्रतिक्रिया के हानिकारक प्रभावों को रोक सकते हैं या विपरीत कर सकते हैं। इसलिए, माता-पिता को तनाव और मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों से निपटने के साथ-साथ पाज़िटिव पेरेंटिंग की आवश्यकता है।
कोवीड -19 के तहत, आवश्यक सेवाओं के रूप में बाल संरक्षण सेवाओं को नामित करने की तत्काल आवश्यकता है। प्रतिक्रिया में मानसिक स्वास्थ्य और मनोसामाजिक सहायता और वैकल्पिक देखभाल व्यवस्था सहित महत्वपूर्ण स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण और बाल संरक्षण सेवाओं का प्रावधान शामिल होना चाहिए। सबसे कमजोर बच्चों को, जिनमें प्रवासी और अनाथ बच्चे भी शामिल हैं, सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ये सेवाएँ सभी के लिए उपलब्ध होनी चाहिए।
माता-पिता, देखभालकर्ता और बच्चों के साथ सबूत आधारित जानकारी और सलाह के साथ संवाद करना आवश्यक है। अध्ययन में देखभालकर्ताओं के साथ बेहतर तरीके से जुड़ने के लिए फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं के कौशल निर्माण की सिफारिश की गई है। अपने बच्चे के विकास में सहायता करने के लिए देखभाल करने में यह पिताओं के गुणवत्तापूर्ण जुड़ाव की आवश्यकता पर भी प्रकाश डालता है।
महाराष्ट्र, ओडिशा, छत्तीसगढ़, असम, राजस्थान और उत्तर प्रदेश जैसे राज्य अभिनव पेरेंटिंग कार्यक्रमों को लागू करने में अग्रणी हैं, जिन्हें अन्य राज्य अपना सकते हैं। यूनीसेफ समर्थन के साथ, माता-पिता, विशेष रूप से पिता, को उनके घरों में और आसपास आसानी से उपलब्ध सामग्री का उपयोग करने के लिए जानकारी और कौशल प्रदान किया जा रहा है। कहानी सुनाने, गाने और बच्चों के साथ खेलने के माध्यम से माता-पिता का बेहतर और अधिक जुड़ाव हुआ है - बच्चे के मस्तिष्क के विकास के लिए यह सभी महत्वपूर्ण हैं। यह आंगनवाड़ी और आशा कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण के माध्यम से किया जा रहा है, इसलिए वे अपने मौजूदा प्लेटफार्मों का उपयोग माता-पिता के जुड़ाव के लिए प्रभावी रूप से कर सकते हैं जैसे कि मासिक माता-पिता की बैठकों और घर पर मुलाकात के माध्यम से। राज्यों ने ईट, प्ले और लव के महत्व को ध्यान में रख कर सभी माता-पिता और देखभालकर्ताओं को शामिल करने के लिए सामुदायिक कार्यक्रमों का आयोजन किया है, जैसे कि महाराष्ट्र में पलक (देखभालकर्ता) मेला।
यूनीसेफ, भागीदारों के साथ मिलकर, अपनी website पर बच्चों के साथ प्रभावी ढंग से जुड़ने के लिए माता-पिता के लिए कई टूल / संसाधन / सलाह जारी कर रहा है। 2019 में, यूनीसेफ कई समुदाय-आधारित भागीदारों के साथ 1.2 मिलियन माता-पिता और देखभालकर्ताओं तक पेरेंटिंग कार्यक्रमों के साथ पहुंचा।
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संपादकों के लिए टिप्पणियाँ
जीवन के पहले 1,000 दिनों के दौरान, शिशुओं का दिमाग एक आश्चर्यजनक दर से बढ़ता है, जो प्रति सेकंड 1,000 न्युरल कनेक्शन बनाता है। यह प्रारंभिक मस्तिष्क विकास निर्धारित करता है कि बच्चे कैसे सोचते हैं, सीखते हैं और व्यवहार करते हैं - जीवन में सफल होने की उनकी क्षमता। लेकिन ये कनेक्शन केवल एक साथ जुड़ते हैं जब एक बच्चा 3 चीजें प्राप्त करता है: पोषण, प्रोत्साहन और सुरक्षा। यह अनुमान लगाया गया है कि वैश्विक स्तर पर, कम और मध्यम आय वाले देशों में 5 वर्ष से कम आयु के 43 प्रतिशत (या 250 मिलियन) बच्चों को अपनी विकास क्षमता को पूरा नहीं करने का जोखिम है। तत्काल, आधारभूत और साथ ही साथ शुरुआती अभाव के मैक्रो-लेवल कारण
गरीबी, असमानता और बुनियादी बाल अधिकारों की उपेक्षा के चक्र को स्थायी बना देते हैं।
यदि सभी बच्चों और परिवारों के लिए साक्ष्य-आधारित हस्तक्षेप प्रदान किया जाता है, विशेष रूप से अधिकारहीन लोगों के लिए तो प्रारंभिक बाल्यावस्था विकास (ECD) को असमानता के दुष्चक्र को तोड़ने के लिए सबसे अधिक लागत प्रभावी हस्तक्षेप के रूप में उद्धृत किया गया है। तंत्रिका विज्ञान मस्तिष्क विकास और कार्य को आकार देने के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर के रूप में ECD पर अप्रतिरोध्य साक्ष्य प्रदान करता है।
बहु- खंडीय एजेंसी के रूप में, संमिलन के लिए विशाल क्षमता के साथ, और सिविल सोसाइटी भागीदारों, निजी क्षेत्र और सरकारों के साथ, यूनीसेफ ECD एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण संसाधनों और विशेषज्ञता का लाभ उठाने के लिए अच्छी तरह से तैयार है।
‘पेरेंटिंग मैटर्स: पेरेंटिंग दृष्टिकोण और अभ्यास की जांच’ अध्ययन पर अतिरिक्त जानकारी के लिए, click here (यहां क्लिक करें)
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