फेयर स्टार्ट
प्रत्येक बच्चे को अपने जीवन में एक उचित शुरुआत प्राप्त करने का हक है । उसे पर्याप्त पोषण, शिक्षा, स्वच्छता, सुरक्षा और स्वास्थ्य देखभाल मिलने का अधिकार है ।
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हर बच्चे को अपने जीवन में एक उचित शुरुआत प्राप्त करने का हक है। उसे पर्याप्त पोषण, शिक्षा, स्वच्छता, सुरक्षा और स्वास्थ्य देखभाल प्राप्त करने का भी अधिकार है।
हर बच्चे को अपने जीवन में एक उचित शुरुआत प्राप्त करने का हक है। उसे पर्याप्त पोषण, शिक्षा, स्वच्छता, सुरक्षा और स्वास्थ्य देखभाल प्राप्त करने का भी अधिकार है। है। यह अभियान उन बच्चों की तरफ ध्यान आकर्षित करता है जिनको ये मूल अधिकार नहीं मिलते हैं। कई बार, उनका जन्मस्थान एवं सामाजिक परिस्थितियां ही उनकी इस स्थिति के लिए ज़िम्मेदार होते हैं । जाति, जातीयता, लिंग, गरीबी, क्षेत्र या धर्म के भेद से ऊपर उठकर हर बच्चे को उसके जीवन में उचित और समान अवसर मिलना चाहिए।
नए सतत विकास लक्ष्यों (सस्टेनेबल डेवलपमेंटल गोल्स) के तहत, दुनिया भर के बच्चों में समानता बढ़ाने के प्रयासों को ध्यान में रखते हुए, यह अभियान उन समानताओं में अंतर को कम करने की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित करने का प्रयत्न करता है।
#फेयरस्टार्ट अभियान उन मज़बूत संदेशों और छवियों का उपयोग करता है जो भारत के बच्चों में असमानता दूर करने में सहायक हो सकते हैं । हर महत्वपूर्ण मुद्दे को आंकड़ों की मदद से सुदृढ़ किया गया है । प्रभावशाली फिल्मों से बनी हुई एक श्रृंखला हमें अलग-अलग हालातों से आने वाले हजारों बच्चों के जीवन को समझने का अवसर देती है । इन बच्चों में काफी क्षमता होने के बावजूद, इनमें स्वस्थ और सुरक्षित रूप से बड़े होने, स्कूल जाने, और सीखने की संभावना कम होती है, तथा बाल विवाह होने की संभावना अधिक होती है।
इस श्रृखंला की मुख्य फिल्म, 'ए फेयर स्टार्ट’, भारत में प्रचलित कई प्रकार की विभिन्नताओं पर बनी हुई है, खासकर बच्चों के द्वारा झेली गई असमानताओं पर। यह इस मुद्दे के साथ लोगों को परिचित कराना चाहता है ताकि लोग इस मुद्दे पर बातचीत करना शुरू कर दें।
यह फिल्म उन बचपन के गीतों का उपयोग करती है जिनको गाकर हम सभी बड़े हुए हैं । इसमें दृश्य भी हैं, लेकिन वे गीतों से बिल्कुल अलग हैं। जैसे कि, कुछ बच्चे ‘पॉकेट फुल ऑफ़ पोसिस’ और ‘जैक एन जिल’ जैसे गीत गा रहे हैं, पर फिल्म में ऐसे बच्चों को दिखाया गया है जो गरीबी, बाल श्रम, लैंगिक भेदभाव, बाल शोषण और असमानता के चंगुल में फसे हुए हैं ।
हर बच्चा #फेयरस्टार्ट का हकदार है|
- भारत में 61 लाख बच्चे स्कूल से बाहर हैं। (स्रोत: एस.आर.आई – आई. एम.आर.बी स्टडी फॉर एम.एच.आर.डी, भारत सरकार, 2014)
- भारत में लगभग 100 लाख बच्चे श्रमिक हैं। (2011 की जनगणना)
- भारत में 5 वर्ष से कम आयु के लगभग 39 प्रतिशत बच्चे शारीरिक वृद्धि और विकास से वंचित हैं। (आर.एस.ओ.सी. 2013-14) ।
- भारत में लगभग 42 प्रतिशत आदिवासी बच्चे शारीरिक वृद्धि और विकास से वंचित हैं और यह भारत की लगभग आधी आबादी बनती है।
- सबसे गरीब परिवारों से आने वाली लगभग 1/3 महिलाओं को प्रसव के दौरान कुशल स्वास्थ्य कर्मी की सहायता नहीं दी जाती है। (आर.एस.ओ.सी. 2013-14) ।
- भारत में 564 करोड़ लोग अभी भी खुले में शौच करते हैं। (यूनिसेफ-डब्ल्यू.एच.ओ जे.एम.पी. 2015) ।
- भारत में लड़कियों को भी जीवन में समान अवसर मिलने का हक है, लेकिन भारत में हर साल औसतन 2.22 करोड़ लड़कियों की उनकी सही उम्र से पहले शादी हो जाती है।
- 15-19 वर्ष की आयु के बीच की 23 प्रतिशत लड़कियों के साथ शारीरिक या यौन हिंसा हुई है।
#फेयरस्टार्ट अभियान का लक्ष्य है ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को इस विषय पर बातचीत करने के लिए प्रोत्साहित करना, और उन्हें एहसास दिलाना कि बच्चों को उनका हक दिलाने में सबकी भूमिका है।
फेयर स्टार्ट का मतलब है कि हर बच्चे को जीवन में उचित और समान अवसर पाने का हक है।
फेयर स्टार्ट का मतलब है कि जाति, जातीयता, लिंग, गरीबी, क्षेत्र या धर्म के भेद से ऊपर उठकर हर बच्चें को उनके जीवन में उचित और समान अवसर मिलना चाहिए।
हर बच्चे को अपने जीवन में एक उचित शुरुआत प्राप्त करने का हक है। उसे पर्याप्त पोषण, शिक्षा, स्वच्छता, सुरक्षा और स्वास्थ्य देखभाल प्राप्त करनेका भी अधिकार है। यह अभियान उन बच्चों की तरफ ध्यान आकर्षित करता है जिनको ये मूल अधिकार नहीं मिलते हैं। कई बार, उनका जन्मस्थान एवं सामाजिक परिस्थितियां ही उनकी इस स्थिति के लिए ज़िम्मेदार होते हैं।
कैरोलीन डेन डुल्क, चीफ, एडवोकेसी एंड कम्युनिकेशन, यूनिसेफ इंडिया कहती हैं, “अकसर जिन मुद्दों का सामना करना पड़ता है वे बेहद जटिल होते हैं और समाज के सभी स्तरों में बिखरे हुए होते हैं। बदलाव लाने के लिए लोगों के दिल और दिमाग में परिवर्तन लाने की आवश्यकता है। #फेयरस्टार्ट अभियान का लक्ष्य है ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को इस विषय पर बातचीत करने के लिए प्रोत्साहित करना, और उन्हें एहसास दिलाना कि बच्चों को उनका हक दिलाने में सबकी भूमिका है।