बच्चों के लिए न्याय
बच्चों के सर्वश्रेष्ठ हित के लिए न्याय करने के साथ-साथ, बाल सुरक्षा को पूर्ण रूप से सुदृढ़ बनाने के लिए सामूहिक प्रयास करना l
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बच्चे एक पीड़ित, गवाह या अपराधी के रूप में न्याय प्रणाली के सामने आ सकते हैंl फिर भी, न्याय प्रणाली का गठन अक्सर वयस्कों की समस्या से निपटने के लिए किया जाता है, जिसमें किसी बच्चे के भाग लेने का आवश्यक स्थान नहीं होता lपीड़ित के रूप में एक बच्चे को विशेष रूप से कानूनी कार्यवाहियों को समझने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा की आवश्यकता होती है और यदि एक आरोपी या दुष्कर्मी का दोष सिद्ध होता है तो सज़ा तथापुनर्वास में से,पुनर्वास पर ज़्यादा बल देना चाहिए।
बच्चे, पीड़ित तथा अपराधों के गवाह —उनका शोषण अक्सर न्याय प्रणालियों, जिनको उनके अधिकारों और आवश्यकताओं के अनुरूप नहीं बनाया जाता है, के द्वारा किया जाता है l पुलिस, अभियोजक और न्यायधीशों सहित, पेशेवरों में अक्सर पीड़ित बच्चों और गवाहों के साथ ठीक से निपटने के लिए विशेष प्रशिक्षण की कमी दिखाई देती है l सम्बंधित प्रक्रियाएँ भी कभी-कभार ही बच्चों के प्रति भावुक होती हैं l
पीड़ित बच्चों की न्याय तक पहुँच को अक्सर व्यवधानों द्वारा रोका जाता है, जैसे कि उनके अधिकारों, न्यायालय एवं कानूनी प्रस्तुतीकरण शुल्कों के बारे में जानकारी का अभाव और अधिकारों के उल्लंघनों पर न्याय के पास लाने के लिए वयस्कों पर निर्भरता l
नागरिक या परिवार कानून के प्रकरणों जैसे कि अभिरक्षा (कस्टडी), तलाक की सुनवाई, घरेलू हिंसा के गवाह, वैकल्पिक देखभाल की व्यवस्था आदि, में बच्चे न्यायिक प्रणाली के संपर्क में जा सकते हैंl प्रायः अपराधिक कार्यवाहियों में, बच्चों की सुनवाई नहीं होती हैl
बच्चों के प्रकरणों को अक्सर वयस्कों के लिए परिकल्पित न्याय प्रणालियों के माध्यम से संसाधित किया जाता है; इन प्रणालियों को बच्चों के अधिकारों और विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप नहीं बनाया गया है।
स्वतंत्रता के अभाव (हिरासत) का उपयोग अंतिम उपाय के रूप में और कम से कम समय के लिए किया जाना चाहिए। इस सिद्धांत का उल्लघंन करते हुएहिरासतआज भी नाबालिग अपराधियों के लिए दण्ड का एक सामान्य स्वरुप बनकर रह गया है।कई बार हिरासत की यह न्यूनतम अवधि कुछ वर्षों या अनिश्चितकालीन अवधि में बदल जाती है।
पूरे दक्षिण एशिया में, बच्चों को अप्रवासन या मानसिक स्वास्थ्य के मामले में या उनकी ही ‘सुरक्षा’ की दृष्टि से भी हिरासत में रखा जाता है l हालाँकि, किसी बच्चे को प्रशासनिक दृष्टि से हिरासत में रखने हेतु लिए गए निर्णय सन्दर्भ, तर्क के आधार और कानूनी ढाँचे के सन्दर्भ में भिन्न हो सकते हैं, फिर भी एक आम धारणा है कि यह निर्णय किसी न्यायाधीश या न्यायालय द्वारा नहीं किया जाता है, बल्कि किसी और संस्था या किसी ऐसे पेशेवर द्वारा लिया जाता है जो सरकार की अधिशासी शाखा से जुड़ा हो l
अपराधिक जवाबदेही की न्यूनतम आयु को बहुत कम निर्धारित करने का भी बच्चों पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है l भारत में अपराधिक जवाबदेही की न्यूनतम आयु सात है और यह अंतर्राष्ट्रीय मानक से कम है l
किसी बच्चे की गिरफ़्तारी, हिरासत या कारावास में रखना केवल एक अंतिम उपाय के रूप में और सबसे कम उपयुक्त समय के लिए किया जा सकता है l कानूनों, विनियमों और नीतियों को उसी के अनुसार बनाया जाना चाहिए तथा पेशेवरों को प्रशिक्षित एवं उन सभी उचित स्थानों परसमुदाय-आधारित विकल्पों को स्थापित करना चाहिए, जहाँ उनका अस्तित्व नहीं हैl
यूनिसेफ हिरासत के विकल्पों को प्रोत्साहन देता है, जैसे दिक्परिवर्तन (डाइवर्ज़न) और पुनर्स्थापन को बढ़ावा देने वाली न्याय प्रक्रिया, एवं स्वतंत्रता से वंछित होने के ऐसे विकल्प, जो साधारणतया बच्चों के अधिकारों को सार्थक करनेके लिए अधिक सहायक होते हैं l ये जनता की सुरक्षा के हित में भी होते हैं और उनका अधिक किफायती होना सिद्ध हो चुका है l
बच्चों के लिए न्याय एक ऐसी पद्धति है जिसे न्याय प्रणाली के संपर्क में आये सभी बच्चों के लाभ के लिए परिकल्पित किया जाता है तथा जो यह सुनिश्चित करता है कि उनके साथ उत्तम न्याय किया जायेगा और उनको बेहतर सुरक्षा प्रदान की जायेगीl यह पद्धति बच्चे के सर्वश्रेष्ठ हितों में कार्य करने के लिए बाल सुरक्षा प्रणालियों के सभी भागों,जिसमें न्यायिक प्रक्रिया भी शामिल है, को मजबूत बनाने के लिए प्रोत्साहित करती है l
यूनिसेफ पीड़ित अथवा अपराध के गवाह बच्चों के लिए बाल संवेदी प्रक्रियाओं को उपयुक्त स्थान प्रदान करने के लिए इन पेशेवरों के साथ मिलकर कार्य करता है और उसके अनुसार, उन पेशेवरों को प्रशिक्षण दिया जाता हैl उदाहरण के लिए, ऐसी प्रक्रियाएँ बच्चे और आरोपित दुष्कर्मी के बीच संपर्क को समाप्त कर देती है।इन प्रक्रियाओं में बच्चों की सम्पूर्ण सहभागिता की अनुमति होती है और यह सुनिश्चि किया जाताहै कि उसके साथ हर समय मर्यादापूर्ण और दयापूर्ण व्यवहार किया जाए l
हम यह सुनिश्चित करने के लिए कार्य करते हैं कि छूटे हुए गए और हाशिये पर रखे गए बच्चों सहित, सभी बच्चों को उनके अधिकारों और उल्लंघनों का समाधान ढूंढने के रास्तों के बारे में सूचित किया जाना चाहिए और इन प्रक्रियाओं के दौरान, उनको सहयोग प्राप्त होना चाहिए l
यूनिसेफ न्याय प्रणाली के संपर्क में आए बच्चों को प्रभावशाली तरीके से सुरक्षा प्रदान करने के लिए पुलिस, अभियोजन पक्षों, न्यायाधीशों, वकीलों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और स्वास्थ्यकर्मियों के प्रशिक्षण को समर्थन देता है l
उच्चतम न्यायालय की साझेदारी में, यूनिसेफ ने न्याय प्रणाली के अंतर्गत आए बच्चों के पुनर्वास की स्थिति की समीक्षा करने के लिए राज्य स्तर परसलाह की एक श्रृंखला का समर्थन किया है lइसमें यौन शोषण से पीड़ित बच्चे और कानून के साथ संघर्ष में आए बच्चों पर विशेष ध्यान दिया गया।परिणामस्वरूप, निरीक्षण और जवाबदेही यांत्रिकियों में नया परिवर्तन और सुधार आया है ।