महत्वपूर्ण आंकड़े (डाटा)
बच्चों के सन्दर्भ में नए जोखिमों और मौकों के मूल्याङ्कन के लिए अलग-अलग आंकड़ों का संग्रह एवं विश्लेषण यूनिसेफ के सभी कार्यक्रमों का प्रमुख अंग है
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महत्वपूर्ण आंकड़े (डाटा)
बच्चों के सन्दर्भ में नए जोखिमों और मौकों के मूल्याङ्कन के लिए अलग-अलग आंकड़ों का संग्रह एवं विश्लेषण यूनिसेफ के सभी कार्यक्रमों का प्रमुख अंग है। राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर आंकड़ों के प्रचुर साक्ष्य संग्रहण और विश्लेषण के माध्यम से विभिन्न नीतियों और नियोजन की जानकारी मिलती है। यूनिसेफ आधिकारिक सरकारी आंकड़ों (डेटा) का इस्तेमाल करता है और नया डेटा उपलब्ध होते ही इस पेज को अपडेट कर देता है।
स्वास्थ्य
• भारत में प्रति दिन 67385 बच्चों का जन्म होता है जो कि पूरे विश्व में बच्चों के जन्म का छठाँ भाग है | हर मिनट इन नवजात में से एक की मृत्यु हो जाती है |
• भारत विश्व में ऐसा अकेला बड़ा देश है जहाँ शिशुओं में लड़कियों की मृत्युदर लड़कों से ज्यादा है | बच्चों के जीवित बचने में लैंगिक अंतराल वर्तमान में 11 प्रतिशत है |
• लड़कों की तुलना में लड़कियों के अस्पतालों में कम भर्ती होने के आंकड़ों से समुदाय के दृष्टिकोण का पता चलता है कि कभी-कभी माता-पिता नवजात लड़कियों पर कम ध्यान देते हैं | केवल 2017 में एस एन सी यू में लड़कों की तुलना में 150,000 काम लड़कियां भर्ती हुई थीं |
भारत में पांच वर्ष से कम आयु में मृत्युदर लड़कों की तुलना में लड़कियों में 8.3 प्रतिशत अधिक है | वैश्विक स्तर पर यह लड़कों में 14 प्रतिशत अधिक है (स्रोत: UNIGME चाइल्ड सर्वाइवल रिपोर्ट 2019)|
• भारत में मातृत्व मृत्युदर 8 अंक नीचे गिरकर 2014-16 के 130/ 100,000 जीवित जन्म से घटकर 2015-17 में 122/ 100,000 जीवित जन्म हो गया है (6.2 प्रतिशत की कमी)|
• वैश्विक स्तर पर प्रतिवर्ष गर्भ एवं बच्चों के जन्म से सम्बंधित कारणों से होने वाली महिलाओं और लड़कियों की मृत्यु में व्यापक कमी आयी है, 2000 में 451,000 की तुलना में 2017 में घटकर ये 295,000 हो गई है जो कि 38 प्रतिशत कम है |
• भारत में प्रतिवर्ष गर्भ एवं बच्चों के जन्म से सम्बंधित कारणों से होने वाली महिलाओं और लड़कियों की मृत्यु में व्यापक कमी आयी है, 2000 में 103,000 की तुलना में 2017 में घटकर ये 35,000 हो गई है जो कि 55 प्रतिशत कम है |
• प्रतिवर्ष 2.5 करोड़ बच्चों के जन्म के साथ भारत का हिस्सा विश्व के कुल बच्चों के जन्म का पांचवां भाग है | उनमे से प्रति मिनट एक बच्चे की मृत्यु हो जाती है |
• लगभग 46 प्रतिशत मातृत्व मृत्यु और 40 प्रतिशत नवजात मृत्यु प्रसव के दौरान या जन्म के पहले २४ घंटों के दौरान होती हैं | नवजात शिशुओं की मृत्यु के प्रमुख कारण समय पूर्व प्रसव (35 प्रतिशत), नवजात संक्रमण (33 प्रतिशत) जन्म के दौरान दम घुटना (20 प्रतिशत) और जन्मजात विकृतियां (9 प्रतिशत) हैं |
बाल सुरक्षा
- बलात्कार के 94.6 मामलों में अपराधी अपने पीडि़तों के परिचित थे
- 15-49 वर्ष आयु वर्ग की 83 प्रतिशत महिलाएं, जिन्होंने कभी शारीरिक और यौन हिंसा का सामना किया, उन्होंने अपने वर्तमान पति को दोषी बताया
- 15-49 आयु वर्ग कि 34 प्रतिशत महिलाओं ने 15 वर्ष की आयु से घर पर हिंसा का सामना किया है
- 5-14 वर्ष की आयु के प्रत्येक आठ में से एक बच्चा अपने परिवार अथवा किसी दूसरे के लिए काम करता है
- 15-49 आयु वर्ग की 31 प्रतिशत महिलाओं ने अपने पति से शारीरिक, यौन अथवा भावनात्मक हिंसा का सामना किया है
- 52 प्रतिशत महिलाओं और 42 प्रतिशत पुरुषों का मानना है कि पति द्वारा अपनी पत्नी को पीटना उचित है
स्रोत:NFHS3 और 4, NCRB 2016
शिक्षा
• 100 में से 29 लड़कियां और लड़के प्रारंभिक शिक्षा का सम्पूर्ण चक्र पूरा करने के पहले ही स्कूल छोड़ देते हैं और प्रायः ये सर्वाधिक वंचित बच्चे होते हैं |
• भारत सरकार का शिक्षा का अधिकार अधिनियम की स्कूल न जाने वाले 6 से 14 वर्ष की आयु वाले बच्चों की संख्या में कमी लाने में महत्वपूर्ण भूमिका रही है, जो कि 2006 में 1.346 करोड़ से घटकर 2014 में 60 लाख रह गया (स्रोत: RI-IMRB सर्वेक्षण, 2009 एवं 2014)
स्कूल न जाने वाले साठ लाख बच्चों में से ज्यादातर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, धार्मिक अल्पसंख्यक समूहों सहित वंचित समुदाय से हैं |
• स्कूल न जाने वाले बच्चों में से ज्यादातर (75 प्रतिशत) छः राज्यों उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार, मध्य प्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में केंद्रित हैं |
• करीब 29 प्रतिशत लड़कियां और लड़के प्रारंभिक शिक्षा का सम्पूर्ण चक्र पूरा करने के पहले ही स्कूल छोड़ देते हैं | अगर इसमें प्रारंभिक शिक्षा के बाद की शिक्षा और हाई स्कूल भी जोड़ दिया जाये तो ये संख्या और भी विवादस्पद और चुनौतीपूर्ण हो जाती है |
जल, स्वच्छताऔर साफ-सफाई (WASH)
- 192 यूनिसेफ समर्थित जिलों मेंखुले में शौच मुक्त(ODF) स्थिति बरकरार रखना
- यूनिसेफ का लक्ष्य सुरक्षित रूप से प्रबंधित पेयजल सेवा का उपयोग करने वाली ग्रामीण आबादी के अनुपात में वृद्धि करना है: 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 69 प्रतिशत
- यूनिसेफ का लक्ष्य समर्थित जिलों में लैंगिक संवेदनशीलता के साथ पर्याप्त और कार्यात्मक WASHसुविधाओं वाले स्कूलों के अनुपात में वृद्धि करना है: 48 प्रतिशत से बढ़ाकर75 प्रतिशत तक
- यूनिसेफ का लक्ष्य पर्याप्त और कार्यात्मक WASHसुविधाओं वाली आंगनवाड़ियों का अनुपात42 प्रतिशत से बढ़ाकर 60 प्रतिशत तक करना है
- यूनिसेफ का लक्ष्य घर में उपलब्ध साबुन से हाथ धोने की सुविधा वाले ग्रामीण परिवारों के अनुपात को34 प्रतिशत से बढ़कर 68 प्रतिशत करना है।
सामाजिक नीति और समावेश
- भारत में अत्यधिक गरीबी (1.90 अमेरिकी डॉलर प्रतिदिन) घटकर 21 प्रतिशत रह गई है। तथापि, 58 प्रतिशत जनसंख्या अभी भी गरीब है जो प्रतिदिन 3.10 अमेरिकी डॉलर से जीवन यापन कर रही है
- वर्ष 2010 में शहरी परिवेश में रहने वाली जनसंख्या का हिस्सा 55.3 प्रतिशत था, जिनमें से बहुत सी अनौपचारिक बस्तियों में बहुत कम अथवा कोई बुनियादी सेवाएं नहीं थीं।
- सात कम आय वाले राज्यों में देश की लगभग 62 प्रतिशत गरीबी है
- वर्ष 2012-13 और 2016-17 के बीच, संघीय बजट में बच्चों के लिए बजट 4.8 प्रतिशत से घटकर 3.3 प्रतिशत रह गया है
- संघीय बजट 2013-14 में बाल सुरक्षा (0.04 प्रतिशत) और बाल स्वास्थ्य (0.58 प्रतिशत) को सबसे कम प्राथमिकता दी गई
किशोर विकास और सहभागिता
- भारत में लगभग 72 प्रतिशत किशोर ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं
- 15-19 वर्ष के आयु समूह में लगभग 11.9 प्रतिशत लड़कियों का 18 वर्ष की आयु से पहले ही विवाह कर दिया गया
- 15-19 वर्ष के आयु समूह की लगभग 42 प्रतिशत किशोरियां कुपोषित हैं (BMI<18.5 kg/m2)
- 15-19 वर्ष आयु समूह की लगभग 54 प्रतिशत किशोरियों और 29 प्रतिशत किशोरों में खून की कमी है
- 15-19 वर्ष के आयु समूह की लगभग 7.9 प्रतिशत महिलाओं ने गर्भधारण करना शुरू कर दिया है
- (स्रोत: जनगणना 2011, एनएचएफएस 3 और 4)
लैंगिक समानता
- लिंगानुपात वर्ष 2001 में प्रति 1,000 लड़कों पर 905 लड़कियों से गिरकर वर्ष 2011 में 899 रह गया (सामान्य लिंगानुपात प्रति 1,000 लड़कों पर 40-960 लड़कियां है)
- भारत में पांच वर्ष से कम आयु की लड़कियों की मृत्यु दर वैश्विक दर से 11 प्रतिशत अधिक है, लड़कों के संबंध में पांच वर्ष से कम की मृत्यु दर 9 प्रतिशत अधिक है, जो पांच वर्ष से कम आयु की लड़कियों की मृत्यु में 20 प्रतिशत की असामान्यता दर्शाती है।3
- 15 से 19 वर्ष की आयु के 30 प्रतिशत लड़कों की तुलना में लगभग 56 प्रतिशत लड़कियों में खून की कमी है।4
- 20 से 24 वर्ष आयु की लगभग 27 प्रतिशत महिलाओं की 18 वर्ष की होने से पहले शादी कर दी गई थी।5
- केवल 12.7 प्रतिशत जमीन ही महिलाओं के नाम है, जबकि 77 प्रतिशत महिलाओं की आय का प्राथमिक स्रोत कृषि पर निर्भर है।6
- लगभग 39 प्रतिशत पुरुष, महिलाएं सोचते हैं कि पुरुषों द्वारा कभी-कभी अथवा हमेशा अपनी पत्नी को पीटना उचित है।7